एक कंपनी के चीनी अधिकारियों को वीजा देने में कथित भ्रष्टाचार के मामले में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने अब कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ मनी लॉउन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। इस मामले में सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ एक हफ़्ते पहले भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने पिछले हफ्ते इसी मामले में कार्ति से जुड़े विभिन्न परिसरों में देश भर में तलाशी ली थी।
एफ़आईआर इस आरोप पर आधारित है कि कार्ति ने पंजाब में एक बिजली परियोजना के लिए वेदांत की सहायक कंपनी के सहयोग से काम करने वाली एक कंपनी के 300 चीनी नागरिकों के लिए वीजा की सुविधा के लिए वेदांत समूह से 50 लाख रुपये की कथित रिश्वत ली थी। आरोप लगाया गया है कि यह मामला 2010 से 2014 के बीच का है।
सीबीआई का यह मामला प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 2018 में सीबीआई को भेजे गए एक संदर्भ पर आधारित है। ईडी द्वारा भेजे गए पत्र में दावा किया गया था कि आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम के ख़िलाफ़ अपनी जांच के दौरान उसे कुछ सबूत मिले थे कि कार्ति से कथित रूप से जुड़ी एक कंपनी को वेदांता समूह ने 50 लाख रुपये की पेशकश की थी ताकि उनके पिता पी चिदंबरम के गृह मंत्री रहते हुए 300 चीनी नागरिकों को वीजा की सुविधा मिल सके।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा था कि कार्ति के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस भास्कर रमन को 2011 में वेदांत समूह द्वारा प्रस्ताव दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार ईडी के दावे भास्कर रमन के लैपटॉप की हार्ड डिस्क से प्राप्त कुछ ईमेल पर आधारित थे।
बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने पिछले हफ़्ते मंगलवार को कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के क़रीबी सहयोगी एस. भास्कर रमन को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम के चेन्नई, मुंबई, ओडिशा और दिल्ली स्थित घर और दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कार्ति चिदंबरम के सहयोगियों के ठिकानों को भी खंगाला गया था।
अपनी राय बतायें