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वोट की संख्या वेबसाइट पर क्यों नहीं? फॉर्म 17सी पर EC की अजीब दलील!

चुनाव आयोग ने मतदाता की संख्या बताने वाले फॉर्म को सार्वजनिक करने का विरोध किया है। इसको लेकर अजीबोगरीब दलील दी गई है। इसने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इसकी वेबसाइट पर मतदान की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी को अपलोड करने से गड़बड़ियाँ हो सकती हैं। इसने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इमेज के साथ छेड़छाड़ की संभावना है और चिंता जताई है कि इससे अविश्वास पैदा हो सकता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने वाली है। सुनवाई से पहले चुनाव आयोग ने अपनी बात सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी है। चुनाव आयोग ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को हलफनामा दायर किया है। इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने के लिए 17 मई को शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था।

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फॉर्म 17 सी डेटा के अंधाधुंध खुलासे से इमेज के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाएगी। ऐसा मतगणना परिणाम के साथ भी हो सकता है। 

चुनाव आयोग ने कहा, 'फॉर्म 17 सी का संपूर्ण खुलासा पूरे चुनावी माहौल को खराब करने और बिगाड़ने का कारण बन सकता है। फिलहाल, मूल फॉर्म 17 सी केवल स्ट्रॉन्ग रूम में उपलब्ध है और इसकी एक प्रति केवल मतदान एजेंटों के पास है जिनके हस्ताक्षर हैं। इसलिए, प्रत्येक फॉर्म 17सी और उसके धारक के बीच संबंध है। अंधाधुंध खुलासे, वेबसाइट पर सार्वजनिक करने से इमेज के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।' 

रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार फॉर्म 17 सी केवल पोलिंग एजेंट को देना होगा। नियम किसी अन्य इकाई को फॉर्म 17सी देने की अनुमति नहीं देते हैं। नियमों के तहत जनता के सामने फॉर्म 17सी का सामान्य खुलासा करने पर विचार नहीं किया गया है।
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चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में याचिकाकर्ताओं की याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि कुल 7 चुनाव चरणों में से 5 पहले ही पूरे हो चुके हैं। अगले दो चरण 25 मई और 1 जून को निर्धारित हैं।

इसने यह भी दावा किया है कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि न्यायालय ने पहले ही ईवीएम-वीवीपीएटी में फैसले में धारा 49एस और फॉर्म 17सी के संबंध में विभिन्न पहलुओं पर विचार किया है।

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चुनाव आयोग ने एक दलील यह भी दी है कि, 'मतदाता मतदान के आंकड़ों के प्रतिशत में न तो कोई देरी है और न ही अंतर है, जो प्रक्रिया में अंतर्निहित है।' 

चुनाव आयोग का यह भी आरोप है कि एडीआर ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भी इसी तरह का मुद्दा उठाया था, लेकिन एक भी उदाहरण नहीं बताया जहां उम्मीदवारों या मतदाताओं ने उसके द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर चुनाव याचिका दायर की हो।

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क़मर वहीद नक़वी
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