प्रधानमंत्री मोदी के 'घनिष्ठ दोस्त' माने जाने वाले डोनल्ड ट्रंप ने क्या फिर झूठ बोला है? वह भी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ही? आख़िर ट्रंप ने किस आधार पर दावा कर दिया कि उन्होंने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से बात की है? अब ज़ाहिर है ट्रंप के दावे का भारत सरकार की तरफ़ से खंडन किया गया। वह भी सूत्रों के हवाले से। फिर सच्चाई क्या है?
अमेरिका और भारत दोनों तरफ़ से किए गए इन दावों ने दोनों देशों के लिए अजीब स्थिति पैदा कर दी है। यह स्थिति अजीब इसलिए है कि एक तरफ़ तो दुनिया के सबसे ताक़तवर देश के राष्ट्रपति ने दावे किए हैं और उसको झूठा साबित करना इतना आसान नहीं है। और दूसरी तरफ़ भारत की ओर से बयान सूत्रों के हवाले से आया है। सूत्रों के हवाले से कहा गया, 'पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच हाल ही में कोई संपर्क नहीं हुआ है। उनके बीच आख़िरी बातचीत 4 अप्रैल, 2020 को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के विषय पर हुई थी।' यह न तो किसी आधिकारिक बयान में ट्रंप के दावों को खारिज किया गया है और न ही भारत के प्रधानमंत्री की ओर से। लेकिन लगता है देर-सबेर इसे आधिकारिक तौर पर भी खारिज किया जाएगा।
वैसे, भारत-चीन सीमा विवाद काफ़ी पेचीदा मामला है। भारत की नीति पहले से ही रही है कि वह दो देशों के बीच विवाद पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता का पक्षधर नहीं रहा है। इसलिए चीन के साथ सीमा विवाद के मामले में भी ऐसा ही हुआ। ट्रंप ने जब दो दिन पहले यानी बुधवार को ट्वीट कर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था तब भारत सरकार ने उसे खारिज कर दिया था। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था, ‘हमने भारत और चीन, दोनों को बता दिया है कि अमेरिका दोनों के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है, इच्छुक भी है और सक्षम भी।’
इसके बाद गुरुवार की शाम को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि 'भारत मुद्दे के शांतिपूर्ण निपटारे के लिए चीन से बात कर रहा है।' इस बात का साफ़ मतलब यह था कि भारत यह कह रहा है कि 'हम चीन के साथ इस दोतरफा मामले को सुलझा लेंगे और हमें किसी तीसरे की मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं है।'
बहरहाल, यह मुद्दा पूरी तरह शांत हुआ भी नहीं था कि ट्रंप ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘अच्छे मूड’ में नहीं हैं। ट्रंप ने कहा, ‘मैं आपको बता सकता हूं। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। चीन के साथ जो कुछ चल रहा है, उसे लेकर वह ‘अच्छे मूड’ में नहीं हैं।’
अब यह सवाल है कि आख़िर सच कौन बोल रहा है? डोनल्ड ट्रंप या भारत की ओर से सूत्रों के हवाले से जारी किया गया बयान?
याद दिला दें कि ऐसी ही स्थिति पिछले साल जुलाई में भी तब आई थी जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के साथ एक मुलाक़ात के दौरान ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मामले पर मध्यस्थता करने की गुज़ारिश की थी। लेकिन तब भारत ने ट्रंप के इस बयान का ज़ोरदार खंडन किया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि भारत का रुख इस बारे में पूरी तरह स्पष्ट है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा ही होगी।
वैसे, ट्रंप की इमेज एक ऐसे नेता के रूप में है जो बदज़ुबानी के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि वह अहंकारी हैं और बड़बोले भी। झूठ बोलने का तो जैसे उन्होंने रिकॉर्ड ही बना लिया है।
ट्रंप अपने कई झूठों को लेकर चर्चित रहे हैं। ट्रंप के बारे में मशहूर है कि वह न केवल झूठ बोलते हैं बल्कि बेशर्मी से भी बोलते हैं।
दस हज़ार से ज़्यादा झूठों का रिकॉर्ड
जून, 2017 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ट्रंप के झूठ और ग़लत तथ्यों की एक सूची छापी थी। अख़बार ने लिखा था कि अमेरिका के इतिहास में ऐसा कोई भी राष्ट्रपति नहीं पैदा हुआ है जिसने झूठ बोलने में इतना वक़्त गँवाया हो। अमेरिका के तमाम मीडिया हाउसों ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप के दस हज़ार से ज़्यादा झूठों का संकलन किया है। ‘न्यूयार्क टाइम्स’ और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों ने उनके बोले झूठों की पूरी एक शृंखला बनाई है।
अब देखना है कि भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर मोदी के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप के दावे का क्या हाल होता है? क्या इसकी भी स्थिति वैसी ही होगी जैसी कि भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर ट्रंप ने मोदी के बारे में कहा था? यानी सबकुछ घालमेल कर दिया जाएगा!
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