दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत पेट्रोल पंप पर ₹86.67 है, लेकिन थोक या इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए, इसकी कीमत लगभग ₹115 है।
थोक दर और पेट्रोल पंप की खुदरा कीमत के बीच लगभग ₹25 प्रति लीटर का बड़ा अंतर है। व्यापक अंतर ने थोक इस्तेमाल वालों को तेल कंपनियों से सीधे बुक टैंकरों के बजाय पेट्रोल पंपों से डीजल खरीद रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि जारी है। यही वजह है कि देश में थोक वालों को बेचे जाने वाले डीजल की कीमतें बढ़ाई गई हैं।
जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आता है तो उससे भारत में भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं। भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल का उपभोक्ता देश है। भारत दुनिया के 40 देशों से अपनी जरूरत का 85 फीसद तेल मंगाता है।आर्थिक मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि भारत की विकास दर 8 से 8.5 फीसद रहने का अनुमान इस आधार पर था कि तेल की कीमतें 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल पर रहेंगी। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें 68 से 70 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा होना हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरी खबर है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एक आकलन है कि अगर यूक्रेन संकट आगे भी जारी रहता है तो भारत के खजाने पर एक लाख करोड़ रुपए का भार पड़ सकता है। निश्चित रूप से कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की मार झेल चुके भारत को अब रूस यूक्रेन युद्ध की मार झेलने के लिए भी तैयार रहना होगा। एसबीआई के एक नोट में कहा गया है कि यदि यूक्रेन संकट के बीच कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल पर भी बरकरार रहती है तो महंगाई 52 से 65 बेसिस प्वाइंट बढ़ जाएगी। मतलब आम लोगों का जीना और मुश्किल हो जाएगा।
अपनी राय बतायें