नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने रविवार को 'सरकार्यवाह' (महासचिव) पद के लिए दत्तात्रेय होसबले को फिर से चुना। होसबले 2021 से 'सरकार्यवाह' के रूप में कार्यरत हैं। आरएसएस ने एक्स पर यह सूचना देते हुए कहा कि उन्हें 2024 से 2027 की अवधि के लिए इस पद पर फिर से चुना गया है।
आरएसएस की वार्षिक तीन दिवसीय 'अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा' शुक्रवार को यहां रेशमबाग के स्मृति भवन परिसर में शुरू हुई।
यह बैठक छह साल बाद आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में हो रही है। बैठक में आरएसएस से जुड़े विभिन्न संगठनों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
वह 2021 से सुरेश 'भैयाजी' जोशी की जगह सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, जो नौ साल तक तीन कार्यकाल तक इस पद पर रहे थे। सरकार्यवाह का पद सरसंघचालक (आरएसएस प्रमुख) के बाद संघ की कमान में नंबर 2 माना जाता है, जिस पर वर्तमान में डॉ. मोहन भागवत का पद है।
वह कन्नड़ और अंग्रेजी मासिक असीमा के संस्थापक संपादक थे। वह 2004 में सह-बौधिक प्रमुख बने। वह कन्नड़, हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और संस्कृत में पारंगत हैं।
किसान आंदोलन पर टिप्पणी
संघ की प्रतिनिधि सभा में शनिवार को दिल्ली के पास किसानों के विरोध प्रदर्शन को पंजाब में 'अलगाववादी आतंकवाद' का पुनरुत्थान बताया। संघ ने सरकार को हिंसक आंदोलनकारियों से दूरी बनाने की सलाह दी। किसान आंदोलनकारियों पर किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता फैलाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। प्रतिनिधिसभा में आरएसएस ने 2023-24 की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा- “पंजाब में अलगाववादी आतंकवाद ने फिर से अपना बदसूरत सिर उठाया है। किसान आंदोलन के बहाने, विशेषकर पंजाब में, लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले अराजकता फैलाने की कोशिशें फिर से शुरू कर दी गई हैं।“
एक तरफ तो संघ की बैठक में किसान आंदोलन को लेकर ऐसी टिप्पणियां की गईं। दूसरी तरफ संघ के संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कथित तौर पर बैठक के दौरान कई मांगें उठाईं, जिनमें उत्पादन लागत के आधार पर उचित मूल्य निर्धारण, कृषि वस्तुओं पर जीएसटी को समाप्त करना, किसानों के लिए समर्थन बढ़ाना शामिल है। एक संकल्प के माध्यम से बाजार के शोषण और संशोधित (जीएम) फसलों को नामंजूर कर दिया गया ।
लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति
आगामी लोकसभा चुनावों के संबंध में बैठक में जीवंत लोकतंत्र के लिए इसके महत्व पर जोर दिया गया और कहा गया कि आरएसएस के स्वयंसेवकों को न केवल अपने मताधिकार का प्रयोग करने का पवित्र कर्तव्य पूरा करना है बल्कि शत-प्रतिशत मतदान भी सुनिश्चित करना है। संघ ने कहा- “उन्हें इसे हासिल करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में योजनाएँ बनानी चाहिए। उन्हें अपने सामने आने वाली चुनौतियों, राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों और समय की वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। हम अच्छी तरह से समझते हैं कि परिवर्तन की इच्छा को केवल संघ की सक्रिय उपस्थिति और आवश्यक परिवर्तन के लिए योजनाबद्ध प्रयासों के माध्यम से ही प्रभावी ढंग से महसूस किया जा सकता है।” उसने अप्रत्यक्ष रूप से अपने सभी स्वयंसेवकों से अपने “चुने हुए” जन प्रतिनिधियों को आने वाले चुनाव में फिर से चुनने की अपील की।
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