ईडी का छापा और फिर कांग्रेस से इस्तीफा। अब आगे क्या? यही सवाल अब मॉडल से नेता बनीं उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं रावत को लेकर उठ रहा है। क़रीब एक महीना पहले ही दोनों को ईडी ने समन जारी किया था। अनुकृति ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। अनुकृति ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा को लिखे पत्र में कहा कि वह निजी कारणों से पार्टी छोड़ रही हैं। और अब मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि वह जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकती हैं।
उत्तराखंड की राजनीति में यह हलचल तब है जब कथित वन घोटाले के संदर्भ में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत पर ईडी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। ईडी द्वारा उन्हें और उनकी बहू को पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए एक महीने पहले ही कहा गया है। फरवरी महीने में राज्य के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और अनुकृति को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। ईडी ने कथित वन घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत 7 फरवरी को उत्तराखंड, नई दिल्ली और हरियाणा में 17 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था। इसके बाद समन दिया गया।
ईडी की जांच राज्य के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कथित अवैध गतिविधियों से जुड़ी हुई है। रावत ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी। 'पार्टी विरोधी गतिविधियों' के कारण छह साल के लिए राज्य मंत्रिमंडल और भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से उनको बर्खास्त किया गया था। इसके बाद ही हरक सिंह रावत 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए।
हरक सिंह रावत के खिलाफ मामला 2019 में कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो टाइगर रिजर्व रेंज में हजारों पेड़ों की कटाई, वित्तीय अनियमितताओं और अनधिकृत निर्माण से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने पाखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में बाघ सफारी और अन्य अवैध परियोजनाओं के संबंध में निर्माण गतिविधियों के लिए हरक सिंह रावत और किशन चंद को दोषी ठहराया।
इसने उत्तराखंड सतर्कता विभाग को अनियमितताओं में शामिल वन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रखने के लिए हरी झंडी भी दे दी थी।
पाखरो टाइगर रिजर्व का विकास रावत की पसंदीदा परियोजना थी जब वह तत्कालीन भाजपा सरकार में वन मंत्री थे। बता दें कि रावत कई मौकों पर दल बदल चुके हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1991 में भाजपा के टिकट पर पौडी से जीता और अविभाजित उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री के रूप में कार्य किया। बाद में वह बसपा में शामिल हो गए। 1998 में बसपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद रावत कांग्रेस में चले गए और 2002 और 2007 में विधायक चुने गए। वह 2007 से 2012 तक राज्य में विपक्ष के नेता रहे।
2012 में रावत मुख्यमंत्री पद की दौड़ में विजय बहुगुणा से हार गए और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। रावत भी उन नौ कांग्रेसी बागी विधायकों में से एक थे, जिन्होंने 2016 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत की सरकार को हटाने के लिए उनके खिलाफ भाजपा से हाथ मिला लिया था।
अनुकृति ने 2022 के विधानसभा चुनावों में चुनावी शुरुआत की। वह प्रभावशाली पार्टी नेता भरत सिंह रावत के बेटे, मौजूदा भाजपा विधायक दलीप सिंह रावत से हार गईं।
अपनी राय बतायें