कोरोना संक्रमण के मामले पिछले साल आने के बाद से ही कहा जाता रहा कि हर्ड इम्युनिटी आने के बाद संक्रमण अपने आप कम हो जाएगा और एक समय न के बराबर केस आएँगे, लेकिन अब लगता है कि ऐसा नहीं होगा। अब विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बेहद तेज़ी से फैलने वाले कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने हर्ड इम्युनिटी की संभावना को धुमिल कर दिया है। इसका मतलब है कि जब हर्ड इम्युनिटी आने की उम्मीद कम होगी तो संक्रमण के मामले ख़त्म होने की संभावना भी कम ही होगी।
डेल्टा वैरिएंट की वजह से हर्ड इम्युनिटी आएगी ही नहीं?
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- 12 Aug, 2021
कोरोना संक्रमण हर्ड इम्युनिटी आने के बाद कम होने की उम्मीद थी लेकिन अब विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बेहद तेज़ी से फैलने वाले कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने हर्ड इम्युनिटी की संभावना को धुमिल कर दिया है।

हर्ड इम्युनिटी यानी झुंड प्रतिरक्षा का सीधा मतलब यह है कि कोरोना संक्रमण से लड़ने की क्षमता इतने लोगों में हो जाना कि फिर वायरस को फैलने का मौक़ा ही नहीं मिले। यह हर्ड इम्युनिटी या तो कोरोना से ठीक हुए लोगों या फिर वैक्सीन के बाद शरीर में बनी एंटीबॉडी से आती है। शुरुआत में कहा जा रहा था कि यदि किसी क्षेत्र में 70-80 फ़ीसदी लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी बन जाएगी तो हर्ड इम्युनिटी की स्थिति आ जाएगी। लेकिन अब कोरोना से ठीक हुए लोगों और वैक्सीन की दोनों खुराक लिए हुए लोगों में भी संक्रमण के मामले आने के बाद इस पर सवाल उठने लगे हैं।