कोरोना वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के ख़िलाफ़ काफ़ी कम प्रभावी हैं। यह इंग्लैंड के एक शोध में सामने आया है। और भारत के आईसीएमआर के शोध में भी। ऐसे में टीके की दोनों खुराक लिए हुए लोगों को बूस्टर खुराक की ज़रूरत पड़ सकती है।
कोरोना से ठीक हुए कई लोग भी संक्रमित हो रहे हैं और कोरोना का टीका लगाए हुए लोग भी। इसका मतलब है कि 'हर्ड इम्युनिटी' की संभावना धुमिल होती दिख रही है। तो क्या कोरोना कभी ख़त्म नहीं होगा?
कोरोना संक्रमण हर्ड इम्युनिटी आने के बाद कम होने की उम्मीद थी लेकिन अब विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बेहद तेज़ी से फैलने वाले कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने हर्ड इम्युनिटी की संभावना को धुमिल कर दिया है।
जिस हर्ड इम्युनिटी को कोरोना संक्रमण को फैलने से रुकने के एक तरीक़ा बताया जा रहा था उस पर केंद्र सरकार का कहना है कि भारत जैसे देश में यह विकल्प नहीं हो सकता है।
क़रीब दो महीनो से देश की 135 करोड़ आबादी को डर के माहौल में जीने के लिए मजबूर करने के बाद सरकार भी अब मानने लगी है कि हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरक्षा से ही कोरोना ख़त्म होगा। देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
हाल ही में अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और दिल्ली की एक संस्था के शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि भारत को कोरोना वायरस से मुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा यह है कि इसकी आधी से ज़्यादा आबादी को कोरोना वायरस से संक्रमित करा दिया जाए।