दुनिया के कम से कम 11 देशों में कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू हो गया है और इस बीच भारत में इसके लिए 'ड्राई रन' शुरू हुआ है। 'ड्राई रन' से मतलब है टीकाकरण अभियान से पहले की तैयारी। और साफ़ कहें तो यह एक पूर्वाभ्यास है। यह देखने के लिए कि टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन को स्टोर करने, एक जगह से दूसरी जगह ढोने, सुरक्षित रखने जैसी व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं। भारत में जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू किए जाने की उम्मीद है। इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी सहित कई देशों में टीका लगाया जा रहा है।
वैक्सीन अभियान से पहले की यही वह तैयारी है जिसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या सरकार ने ऐसी तैयारियाँ कर ली हैं। रिपोर्टों के अनुसार अब तक 7000 कर्मियों को टीकाकरण के लिए प्रशिक्षण दिया गया है और 2300 से ज़्यादा सत्र आयोजित किए जा चुके हैं।
अब सोमवार को पहली बार इसका 'ड्राई रन' किया गया। इसे मॉकड्रिल भी कह सकते हैं। यह चार राज्यों में किया जा रहा है। दो दिनों तक यह 'ड्राई रन' किया जाएगा। जिन राज्यों में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास किया जा रहा है वे हैं- पंजाब, असम, आंध्र प्रदेश और गुजरात। इन राज्यों के दो-दो ज़िलों में दो दिन के लिए यह अभ्यास किया जाएगा।
इस प्रक्रिया में कोल्ड स्टोरेज की जाँच होगी, कोल्ड स्टोरेज से कोरोना वैक्सीन को केंद्रों पर ले जाने की प्रक्रिया की जाँच होगी, केंद्रों पर भीड़ को व्यवस्थित कैसे किया जाए आदि पर नज़र रखी जाएगी। यह पू्र्वाभ्यास भी ज़िला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों या प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों, निजी अस्पतालों जैसे अलग-अलग जगहों पर किया जाएगा।
यह पूर्वाभ्यास इसलिए ज़रूरी है कि 130 करोड़ देशवासियों के लिए वैक्सीन पहुँचाना कम चुनौती भरा काम नहीं है? कोरोना की वैक्सीन के लिए विशेष व्यवस्था चाहिए।
कई कंपनियों की वैक्सीन के लिए -20 से -80 डिग्री तक तापमान चाहिए। दूर-दराज के क्षेत्रों में वैक्सीन कैसे पहुँचेगी? भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था और सेवाएँ भी बेहद ख़राब हैं। 2019 के वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक के अनुसार 195 देशों में भारत 57वें स्थान पर था। ऐसे में सरकार के लिए एकाएक सभी लोगों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करना क्या आसान होगा?
हालाँकि कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए सभी 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की ज़रूरत नहीं होगी। माना जा रहा है कि 70 फ़ीसदी आबादी को भी यह वैक्सीन लगा दी जाए तो हर्ड इम्युनिटी पाने के लिए यह काफ़ी होगा।
लेकिन टीकाकरण अभियान के पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को इसके दायरे में लेने की सरकार की योजना है।
वैक्सीन के लिए सरकार की तैयारी अभी चल रही है, लेकिन इससे एक महीने पहले ही कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए तीन कंपनियों ने आवेदन किया था।
जिन तीन कंपनियों ने वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था उन्होंने वैक्सीन से जुड़ी पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई थी। इसीलिए किसी को भी मंजूरी नहीं मिली है। इसका मतलब यह नहीं है कि ये तीनों वैक्सीन नामंजूर कर दी गई हैं। उन कंपनियों से कहा गया है कि वे वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े पूरे आँकड़े लेकर फिर से आएँ और तब इस पर विचार किया जाएगा।
तीनों कंपनियों में से एक सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया है जिसने इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी व फ़ार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के साथ क़रार किया है। दूसरी कंपनी देश में कोरोना वैक्सीन निर्मित करने वाली भारत बायोटेक है। विशेष कमेटी ने इन दोनों को कहा है कि वे आख़िरी चरण के ट्रायल में आए सुरक्षा और प्रभाविकता के आँकड़े लेकर आएँ। तीसरी अमेरिका की कंपनी फ़ाइज़र है जिसने आँकड़े जमा करने के लिए और समय माँगा है।
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