यह माना हुआ तथ्य है कि प्राकृतिक आपदा, महामारी, युद्ध जैसे संकट के समय में महिलाएँ सबसे ज़्यादा भुक्तभोगी होती हैं और यही कोरोना संकट के समय भी हो रहा है।
कोरोना: लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा बढ़ी, अब महिलाएँ क्या करें?
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- 5 Apr, 2020

यह माना हुआ तथ्य है कि प्राकृतिक आपदा, महामारी, युद्ध जैसे संकट के समय में महिलाएँ सबसे ज़्यादा भुक्तभोगी होती हैं और यही कोरोना संकट के समय भी हो रहा है।
कोरोना वायरस और फिर लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा के मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़ गए हैं। यानी सीधे-सीधे कहें तो महिलाओं की प्रताड़ना काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया भर में। यदि शिकायत भी करें तो और ज़्यादा हिंसा का डर। पुलिस भी लॉकडाउन में व्यस्त है और लॉकडाउन है तो महिलाएँ बाहर भी नहीं जा सकती हैं। तो क्या हिंसा की शिकार महिलाएँ हिंसा के पिंजरे में कैद हैं और यदि ऐसा है तो वे क्या करें?