यदि कहें कि कोरोना वायरस से लड़ने में भारत को जर्मनी से सीख लेनी चाहिए तो पहली नज़र में शायद आप चौंक जाएँ। ऐसा इसलिए कि जर्मनी में कोरोना पॉजिटिव 97 हज़ार से ज़्यादा हैं और भारत में सिर्फ़ साढ़े तीन हज़ार। ऐसे में हमें क्या जर्मनी से सीखने की ज़रूरत है? दरअसल, हमें ही नहीं, पूरी दुनिया को सीखने की ज़रूरत है। दुनिया का सबसे ताक़तवर देश अमेरिका जर्मनी से लोगों की जानें बचाने के नुस्खे पूछ रहा है। जर्मनी में पॉजिटिव केस ज़्यादा हैं तो क्या लेकिन वहाँ मृत्यु दर काफ़ी कम है। दक्षिण कोरिया, चीन, फ़्रांस, अमेरिका, इटली इन सभी देशों से कम। यानी जर्मनी अपने मरीजों की ज़िंदगियाँ काफ़ी अच्छी तरह बचा रहा है जबकि दूसरे देश उस तरह से नहीं।
कोरोना: जर्मनी ने जो किया वह भारत क्यों नहीं कर रहा है?
- दुनिया
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- 6 Apr, 2020

यदि कहें कि कोरोना वायरस से लड़ने में भारत को जर्मनी से सीख लेनी चाहिए तो पहली नज़र में शायद आप चौंक जाएँ। ऐसा इसलिए कि जर्मनी में पॉजिटिव केस ज़्यादा हैं तो क्या लेकिन वहाँ मृत्यु दर काफ़ी कम है।
जर्मनी में आए 97 हज़ार पॉजिटिव लोगों में से क़रीब 1400 लोगों की मौत हुई है यानी मृत्यु दर क़रीब 1.5 फ़ीसदी है। इसका मतलब है कि हर 100 मरीजों में से डेढ़ व्यक्ति की मौत हो रही है। जबकि इटली में 12 फ़ीसदी, स्पेन में 9.4, अमेरिका में 3.2, चीन में 4, भारत में 2.3 और दक्षिण कोरिया में 1.7 फ़ीसदी रहा है। इस तरह से देखें तो जर्मनी में मौत दर सबसे कम है। अब यही कारण है कि अमेरिका जर्मनी से नसीहत माँग रहा है कि उसने ऐसा कैसे कर दिखाया। अमेरिका पूछ रहा है कि उसने अलग क्या किया।