कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण तीन लाख ट्रक सड़कों पर जहाँ-तहाँ फँसे हैं। इनमें क़रीब 35000 करोड़ रुपये के सामान हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह बात ट्रेड यूनियनों ने कही है। लॉकडाउन की शुरुआत में इन ट्रकों को जाने नहीं दिया गया था और अब जब जाने की अनुमति है तो ड्राइवर और मज़दूर नहीं हैं कि इन ट्रकों को सड़कों से ले जाया जाए और गोदाम में सामान उतारा जाए।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 24 मार्च को 21 दिन के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन के बाद से अधिकतर सामानों की सप्लाई कम होने लगी है। पहले ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि आटा, चावल, दाल, तेल, साबुन, बिस्किट जैसे हर रोज़ की ज़रूरत के सामान की भी भारी किल्लत हो सकती है। लॉकडाउन के कारण अब स्टोर के स्टॉक में पहले से पड़े सामान ख़त्म हो रहे हैं और ऊपर से सप्लाई सही से हो नहीं रही है। दिल्ली में सैनिटरी पैड के स्टॉक कम पड़ने की रिपोर्ट भी आई थी।
शुरुआत में समस्या आई थी कि सभी सामानों को ज़रूरी या ग़ैर-ज़रूरी उत्पादों-सेवाओं की सूची में डाल देने के कारण अधिकतर सामान फँस गए थे। लेकिन अब यह समस्या नहीं है। दरअसल, दिक्कत इतनी भर नहीं है कि इन सामानों को ज़रूरी या ग़ैर-ज़रूरी उत्पादों-सेवाओं की सूची में डाला गया था या नहीं, बल्कि यह समस्या लॉकडाउन के कारण हर चीज में आ रही है।
लॉकडाउन से पहले जिन हज़ारों ट्रकों पर सामान पहले से लदा हुआ था वे एक से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे हैं। अधिकतर राज्यों की सीमाओं को सील कर दिया गया है और इस कारण हज़ारों ट्रक जहाँ के तहाँ फँसे हुए हैं। इन ट्रकों में कार, मोटरसाइकिलें, फ़्रिज, एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन, उद्योगों के लिए कच्चे माल भरे हैं। पहले तो ये ट्रक इसलिए फँस गए थे क्योंकि इनमें जो सामान थे वे ग़ैर ज़रूरी सामानों की सूची में रखे गए थे और इन्हें लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जाने की इजाजत नहीं थी। बाद में जब ट्रकों को जाने की मंजूरी दी गई तब तक इन ट्रकों के ड्राइवर ट्रकों को छोड़कर अपने-अपने घर चले गए। यानी अब वे ट्रक वहीं के वहीं फँसे हुए हैं।
इसका नतीजा यह निकल रहा है कि सामान आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। कच्चा माल भी फ़ैक्ट्रियों में नहीं पहुँच पा रहा है क्योंकि अधिकतर ट्रक फँसे हुए हैं। ये समस्याएँ किसी एक स्तर पर नहीं है, बल्कि फ़ैक्ट्रियों में कच्चा माल जाने से लेकर, ढुलाई, निर्माण, मज़दूरों की कमी और आपूर्ति करने तक में हैं।
'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के अध्यक्ष कुलतरण सिंह अटवाल ने कहा कि हज़ारों करोड़ के सामान ट्रकों में हैं और वे जहाँ-तहाँ सड़कों पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही कुछ किया जाना चाहिए। कार कैरियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपुल नंदा ने कहा कि 1500 बड़े कंटेनर ट्रक फँसे हुए हैं इसमें 10 हज़ार एसयूवी कारें हैं।
'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार 500 ट्रकों के मालिक सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि उनके 400 ट्रक सड़कों पर फँसे हुए हैं और उनमें क़रीब 100 करोड़ के सामान हैं।
एक दिक्कत यह भी है कि लॉकडाउन के बाद मज़दूर फ़ैक्ट्रियों में नहीं जा रहे हैं। अधिकतर फ़ैक्ट्रियों में काम बंद होने से जब मज़दूर अपने घर जाने लगे तो जिन फ़ैक्ट्रियों में काम चल भी रहा था उसके मज़दूर भी साथ-साथ अपने घर के लिए निकल गए। इससे सिर्फ़ फ़ैक्ट्रियों में उत्पादन ही प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि सामान को एक से दूसरी जगह पहुँचाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। ट्रक पर सामान लोड करने और उतारने से लेकर वितरकों और खुदरा दुकानदारों तक सामान पहुँचाने में बड़ी समस्या है।
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