केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देगा। केंद्र की ओर से यह बयान तब आया है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में नाराज़गी जताई गई थी। अदालत ने यह नाराज़गी हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए अपनी सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र की देरी पर व्यक्त की थी। तब शीर्ष अदालत ने इसे 'बहुत गंभीर मुद्दा' कहा था।
पिछले महीने ही हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफ़ारिश को लेकर सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी पर केंद्र सरकार ने कहा था कि कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को तय समय में मंजूरी देने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने तब कहा था कि तीन दिनों में उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए 44 न्यायाधीशों को मंजूरी दे दी जाएगी।
उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 'तय नियम-कानून का पालन करने' और प्रक्रिया में देरी नहीं करने के लिए कहा था।
जजों की नियुक्ति में देरी पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से लंबित नामों पर जल्द से जल्द मुहर लगाने को कहा।
इसी बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिसंबर महीने में पांच न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की सिफारिश की थी, जिनमें राजस्थान और पटना के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल और संजय करोल शामिल थे।
शीर्ष अदालत में जजों के 34 स्वीकृत पद हैं, लेकिन वर्तमान में 27 जज ही नियुक्त हैं। 13 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत में पदोन्नति के लिए पांच नामों की सिफारिश की थी। पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय करोल और मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार शामिल हैं।
शीर्ष अदालत शुक्रवार को इन जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सरकार ने कहा कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की पांच सिफारिशों को मंजूरी देगी।
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