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सीएए को जानिएः आगे क्या होगा, कौन से नियम बदले, कहां लागू नहीं

केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा और आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू कर दिया। नौ राज्यों के कुछ चुने हुए जिलों में यह पहले से ही लागू था। लेकिन अब यह कानून पूरे भारत के लिए लागू हो गया है। जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-दस्तावेजी गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

1955 के नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों ने भारत में अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोक दिया। जो लोग वैध दस्तावेजों के बिना भारत आए या अनुमति अवधि से अधिक समय तक रुके उन्हें विदेशी करार दिया गया और निर्वासित कर दिया गया। उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से रोक दिया गया।

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नए नियम क्या हैं

अब नए सीएए नियमों के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्ति, जिन्हें अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में अल्पसंख्यक माना जाता है, भारतीय नागरिकता के लिए पात्र हैं। शर्त यही है कि धार्मिक कारणों से उन्हें उन देशों से भगाया गया हो और उत्पीड़न के शिकार हुए हैं। ऐसे लोग 2015 से पहले भारत आए हों। इन व्यक्तियों को भारत में उनके अवैध प्रवेश या देश में उनकी अनुमत अवधि से अधिक रहने से संबंधित कानूनी कार्रवाई से भी छूट दी गई है। पिछले कानून के तहत, नागरिकता के लिए पात्र होने के लिए प्रवासियों को कम से कम "11 साल" भारत में रहना आवश्यक था। अब इसे कम से कम पांच वर्ष कर दिया गया है।

कहां करें आवेदनः गृह मंत्रालय (एमएचए) ने आवेदकों की आसानी के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है। आवेदकों को उस वर्ष का खुलासा करना होगा जिसमें उन्होंने बिना किसी दस्तावेज़ के भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से किसी दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी। कानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सीएए के तहत लाभ तीन पड़ोसी देशों के गैर-दस्तावेज अल्पसंख्यकों तक बढ़ाया गया है।

किन 9 राज्यों में सीएए लागू है

सीएए 2022 से नौ राज्यों में लागू किया गया है। ये हैं दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश। केंद्र ने गृह सचिवों और 31 जिला मजिस्ट्रेटों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख और पारसियों को भारतीय नागरिकता देने की अनुमति दी है। कुछ राज्यों में नागरिकता दी भी गई है।

नॉर्थ ईस्ट के इन इलाकों में सीएए नहीं

जिन क्षेत्रों में सीएए लागू नहीं किया गया है वे असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम हैं। इसका मतलब यह है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले, पहचाने गए समुदायों से आने वाले प्रवासियों को धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता नहीं दी जा सकती है। ये स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं और संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं।

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सीएए से छूट इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली वाले राज्यों को भी है। ILP गैर-निवासियों के लिए इन राज्यों में प्रतिबंधित अवधि के लिए प्रवेश करने और निवास करने के लिए आवश्यक है और एक विशेष परमिट के रूप में कार्य करता है। ऐसे राज्यों में नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और लक्षद्वीप शामिल हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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