प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के दस्तावेज बता रहे हैं कि जेएनयू की छात्र नेता आफरीन फातिमा की मां परवीन फातिमा के घर को गिराने की कार्रवाई अवैध है। जल कल विभाग, प्रयागराज द्वारा जारी रसीद 8 फरवरी की है और यह बताती है कि परवीन फातिमा ने 4,578 रुपये के पानी के बिल का भुगतान किया।
प्रयागराज नगर निगम द्वारा जारी 28 जनवरी के एक प्रमाणपत्र से पता चलता है कि हाउस नंबर 39सी/2ए/1 परवीन फातिमा के नाम पर है और वित्तीय वर्ष 2020-2021 के लिए हाउस टैक्स का भुगतान किया गया है।
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लेकिन प्रयागराज प्रशासन ने रविवार को सिर्फ एक दिन का नोटिस देने के बाद घर को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि निर्माण उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के उल्लंघन में किया गया था। जिलाधिकारी और एसएसपी तब तक मौजूद रहे, जब तक कि घर को पूरी तरह बुलडोजर से गिरा नहीं दिया गया। इससे साफ है कि इस घर और इस परिवार को किन्हीं खास वजहों से टारगेट किया गया। एसएसपी ने उस बयान भी दिया था कि बाप-बेटी मिलकर प्रोपेगेंडा करते हैं। जाहिर है कि आफरीन फातिमा का एक्टिविस्ट होना और सरकार से सवाल पूछना योगी सरकार को पसंद नहीं आ रहा था।
घर पर जो नोटिस प्रशासन ने लगाया, उसमें परवीन फातिमा को नहीं बल्कि उनके पति मोहम्मद जावेद को संबोधित किया गया था, जिन्हें शनिवार को नूपुर शर्मा की पैगंबर पर अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, जावेद और फातिमा की छोटी बेटी सुमैया फातिमा ने कहा- पीडीए ने मेरे पिता को नोटिस जारी किया और मेरी मां के आवास को ध्वस्त कर दिया। यह घर मेरी मां परवीन फातिमा के पिता कलीमुद्दीन सिद्दीकी के पास था। उन्होंने इसे दो दशक पहले मेरी मां को उपहार में दिया था। शुरू में हमने भूतल और बाद में दो और मंजिलें बनाईं।
19 साल की सुमैया ने कहा- तब से, किसी भी सरकारी एजेंसी ने हमें यह नहीं बताया कि इसे अवैध रूप से बनाया गया था। हाउस टैक्स, वॉटर टैक्स और बिजली कनेक्शन मेरी मां के नाम पर है। सभी टैक्स का भुगतान समय पर किया गया है। रविवार से पहले किसी अधिकारी ने हमें यह नहीं बताया कि हमारा घर गलत तरीके से बनाया गया है।
घर के गेट पर चिपकाए गए नोटिस में कहा गया है कि 25 x 60 फीट का निर्माण बिना अनुमति के जमीन और पहली मंजिल पर किया गया था।रविवार को, जावेद के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील के. के. रॉय ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था: रविवार को ध्वस्त किया गया घर मोहम्मद जावेद की पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर है। जावेद मोहम्मद को शनिवार को नोटिस भेजा गया है। मुस्लिम कानून के अनुसार पत्नी की संपत्ति पति की नहीं होती है।
पीडीए की इस करतूत पर उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क करने पर, पीडीए सचिव अजीत सिंह और जोनल अधिकारी अजय कुमार ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।
नाम न छापने की शर्त पर पीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: हम स्थानीय निवासियों से विवरण एकत्र करने के बाद उस व्यक्ति को नोटिस जारी करते हैं जो भूमि पर निर्माण करता है। जमीन के मालिकाना हक से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
जावेद के मामले के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर, अधिकारी ने कहा: सीमा की दीवार पर एक पत्थर की पट्टिका थी जिस पर 'जावेद एम' लिखा हुआ था। स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि घर मोहम्मद जावेद का है और उसी के अनुसार उन्हें एक नोटिस जारी किया गया था।
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सोमवार को, द इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर ने साइट का दौरा किया और पास के एक खुले प्लॉट में लकड़ी की एक मेज और कुछ कुर्सियाँ रखीं पाईं। बुलडोजर द्वारा छोड़े गए मलबे को देखने के लिए आसपास के इलाकों से लोगों का आना-जाना लगा था, हालांकि अधिकांश घरों के दरवाजे बंद थे।
सुमैया के मुताबिक वह अब अपनी मां के साथ रोशन बाग में एक रिश्तेदार के घर रह रही हैं। उन्होंने कहा कि रविवार को जब पीडीए की टीम घर तोड़ने के लिए पहुंची तो वहां सिर्फ मेरी भाभी जीनत मसरूर मौजूद थीं। कुछ रिश्तेदारों की मदद से वह घर से कुछ सामान निकालने में सफल रही। जो कुछ भी वह निकालने में विफल रही, उसे बुलडोजर ने कुचल दिया।
उन्होंने कहा कि सुमैया के बड़े भाई की पत्नी मसरूर अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ जिले में अपने माता-पिता के घर लौट आई। सुमैया की बड़ी बहन आफरीन एक एक्टिविस्ट और जेएनयू की पूर्व छात्रा हैं।
सुमैया के अनुसार, पुलिस ने मामले में उसके पिता को "फंसाया" और घर से हथियारों और अन्य सामानों की बरामदगी का "झूठा" दावा कर रही है। पुलिस ने आरोपों से इनकार किया है।
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