संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के लिए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है। राहुल को बुधवार तक लोकसभा सचिवालय को उस नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। राहुल ने इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रपति के अभिभाषण के मोशन ऑफ़ थैंक्स पर एक बहस में प्रधानमंत्री मोदी पर जबरदस्त हमला बोला था।
बुधवार को निशिकांत दुबे ने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हुए स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा। उसमें उन्होंने राहुल पर पीएम मोदी पर बिना किसी "दस्तावेजी सबूत" के "सदन को गुमराह करने" का आरोप लगाया। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि उनकी टिप्पणियाँ अवमाननापूर्ण, असंसदीय और भ्रामक थीं। पार्टी ने कांग्रेस शासित राजस्थान और अन्य विपक्षी शासित राज्यों में अडानी के व्यापारिक हितों की ओर भी ध्यान दिलाया।
राहुल ने अरबपति गौतम अडानी के साथ प्रधानमंत्री मोदी के संबंधों पर सवाल उठाए थे और कई सवाल पूछे थे। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद अडानी की जबरदस्त तरक्की का हवाला देते हुए राहुल ने प्रधानमंत्री पर क्रोनी पूंजीवाद का आरोप लगाया था।
राहुल ने कहा था कि देश में एयरपोर्ट से लेकर सेब तक में एक ही शख्स की चर्चा है। राहुल ने कहा था कि आखिर पीएम मोदी का अडानी समूह से क्या लिंक है। राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा, “पहले पीएम मोदी अडानी के विमान में सफर करते थे अब अडानी मोदी जी के विमान में सफर करते हैं। यह मामला पहले गुजरात का था, फिर भारत का हो गया और अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है। अडानी ने पिछले 20 सालों में और इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को कितना पैसा दिया?
उन्होंने पूछा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो अडानी साल 2014 में 609वें लिस्ट पर थे, वो दूसरे नंबर पर पहुंच गए। राहुल ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर वो कौन सा जादू था, जिसने अडानी को दो नंबर पर पहुंचा दिया।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि नियम 380 के तहत राहुल गांधी द्वारा लगाए गए "असंसदीय, अपमानजनक आरोपों" को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए। लोकसभा की कार्यवाही से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 18 टिप्पणियों को हटा दिया गया है। हालांकि इन टिप्पणियों को हटाने की वजह नहीं बताई गई।
बहरहाल, निशिकांत दुबे ने लिखा, 'राहुल गांधी ने अपने बयानों के समर्थन में कोई विधिवत प्रमाणित दस्तावेज पेश नहीं किया है। इस तरह, उन्होंने एक बयान दिया है जो किसी भी दस्तावेजी सबूत के अभाव में सदन को गुमराह करने जैसा है।'
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