पहले से ही अलग-अलग कारणों से कई बार विवादों के केंद्र में रहने वाले जेएनयू वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार को पद से हटाने की माँग एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगी है। इस बार यह माँग सरकार के अपने ही लोग कर रहे हैं।
बीजेपी के सहयोगी दल जनता दल (युनाइटेड) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर जगदीश कुमार को पद से हटाने की माँग की है।
उसने इसके साथ ही जेएनयू परिसर में रविवार को हुई हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में जाँच कराने की माँग भी की है। जद (यू) ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस पर अपना काम ठीक से नहीं करने का आरोप भी लगाया है। पार्टी के प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा :
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‘हम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के और दूसरे अधिकारियों के रवैए की कड़े शब्दों में आलोचना करते हैं कि गुंडों के गंदे खेल पर वह मूकदर्शक बने रहे। पुलिस अफ़सर भी अपने कर्तव्य को निभाने में नाकाम रहे।’
के. सी. त्यागी, प्रवक्ता, जनता दल (युनाइटेड)
जदयू ने एक बयान में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज की अगुआई में इस पूरे कांड की निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायिक जाँच की जानी चाहिए।
जदयू की यह माँग महत्वपूर्ण इसलिए है कि वह बीजेपी की सहयोगी दल है। लोकसभा चुनाव दोनों ने एक साथ लड़ा था। केंद्र सरकार में वह शामिल यह कहते हुए नहीं हुई थी कि वह सांकेतिक प्रतिनिधित्व नहीं चाहती है, क्योंकि नरेंद्र मोदी उसे सिर्फ़ एक मंत्रालय दे रहे थे। बिहार में जदयू की नीतीश कुमार सरकार में बीजेपी शामिल है। इस तरह बीजेपी के सहयोगी दल ही जेएनयू के मुद्दे पर उसके ख़िलाफ़ हो रहे हैं।
जेएनयू के पूर्व वाइस चांसलर ने रविवार को हुई हिंसा पर अचरज जताते हुए कहा कि नकाबपोश लोगों ने विश्वविद्यालय के छात्रों पर हिंसक हमले किए, जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं और पुलिस चुप रही, उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी जेएनयू के वाइस चांसलर की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘यह निश्चित तौर पर बाहरी लोगों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से किया गया हमला है। वाइस चांसलर ने 5 घंटे तक किसी को कोई जवाब नहीं दिया, न ही उन्होंने पुलिस बुलाई। इससे साफ़ है कि वह भी इसमें शामिल थे।’
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