पतंजलि आयुर्वेद की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं और कोरोना की दवा का इजाद करने के दावे पर रामदेव घिरते जा रहे हैं। आयुष मंत्रालय के टास्कफ़ोर्स ने साफ़ शब्दों में कहा है कि पतंजलि इस दवा को 'कोविड-19 के इलाज' की दवा कह कर नहीं बेच सकता है।
टास्कफ़ोर्स ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी पहले मानव पर दवा की जाँच (ह्यूमन ट्रायल) पूरी करे और फिर उसे बेचते समय वही दवा बताए जिसके लिए उसने मानव ट्रायल की अनुमति माँगी है। कंपनी ने इसे
'खाँसी और बुखार' की दवा के लिए मानव ट्रायल की अनुमति माँगी थी।
टास्कफोर्स
आयुष मंत्रालय के 17-सदस्यीय टास्कफोर्स ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मंत्रालय ने अप्रैल में ही अलग-अलग विभागों के लोगों का एक टास्कफोर्स बनाया था, जिसे दवा बनाने के दावों का अध्ययन और उस पर निगरानी रखना था। इसे उन दावों पर निगरानी करनी थी, जो आयुर्वेद, यूनानी, नेचुरोपैथी, सिद्ध और होम्योपैथी से जुड़ी कंपनियाँ करतीं।
इस टास्कफोर्स में ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज, इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च, विश्व स्वास्थ्य संगठन और कौंसिल ऑफ़ साइंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के प्रतिनिधि भी हैं।
क्या है रिपोर्ट में?
एक सरकारी अधिकारी ने 'द प्रिंट' से कहा, 'कमेटी ने सिफ़ारिश की है कि पहले कंपनी क्लिनिकल ट्रायल पूरा करे। कंपनी को ट्रायल के लिए 120 कोरोना रोगियों का रजिस्ट्रेशन करना था। उसने 100 रोगियों पर ही दवा का परीक्षण किया है।' एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने 'द प्रिंट' से कहा, 'टास्कफोर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी इस दवा को कोविड की दवा कह कर बिल्कुल न बेचे।' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि,
“
'यह भी पाया गया है कि खाँसी, बुखार और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवा के लिए ट्रायल की अनुमति माँगी गई थी। इसलिए यह दवा उन्हीं चीजों के लिए बेची जा सकती है।'
टास्कफ़ोर्स की रिपोर्ट का अंश
क्या कहना है पतंजलि का?
इस बीच, पतंजलि ने उत्तराखंड के स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी (एसएलए) से मिली एक चिट्ठी के जवाब में कहा है कि कंपनी ने इस दवा का कोई प्रचार-प्रसार या विज्ञापन नहीं किया है। एसएलए के उप निदेशक डॉक्टर वाई. एस. रावत ने 'द प्रिंट' से कहा, 'कंपनी ने 26 जून को लिखी चिट्ठी में कोरोना किट नामक किसी उत्पाद के बेचने से इनकार किया है। उसने किसी उत्पाद का विज्ञापन कोविड-19 का इलाज कह कर करने से भी इनकार किया है।'
इसके पहले राजस्थान सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (निम्स), जयपुर को बाबा रामदेव की कोरोना के इलाज के दावे वाली दवा के क्लीनिकल ट्रायल के संबंध में नोटिस दिया था। रामदेव ने कहा था कि कोरोनिल नाम की इस दवा को पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और निम्स, जयपुर ने मिलकर तैयार किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि दवा के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के लिए क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री- इंडिया (सीटीआरआई) की मंजूरी ली गई थी।
अपनी राय बतायें