प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (पीटीआई) देश की सबसे पुरानी और सबसे प्रामाणिक समाचार समिति है। मैं दस वर्ष तक इसकी हिंदी शाखा ‘पीटीआई—भाषा’ का संस्थापक संपादक रहा हूँ। उस दौरान चार प्रधानमंत्री रहे लेकिन किसी नेता या अफ़सर की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह फ़ोन करके हमें किसी ख़बर को ज़बर्दस्ती देने के लिए या रोकने के लिए आदेश या निर्देश दे लेकिन अब तो प्रसार भारती ने लिखकर पीटीआई को धमकाया है कि उसे सरकार जो 9.15 करोड़ रुपये की वार्षिक फ़ीस देती है, उसे वह बंद कर सकती है। यह राशि पीटीआई को विभिन्न सरकारी संस्थान जैसे आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न मंत्रालय, हमारे दूतावास आदि, जो उसकी समाचार-सेवाएँ लेते हैं, वे देते हैं।
पीटीआई को सरकारी धमकी, प्रसार भारती को फटकार लगाए सरकार
- विचार
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- 30 Jun, 2020

अब पीटीआई ने क्या ग़लती की है? सरकारी चिट्ठी में उस पर आरोप लगाया गया है कि उसने नई दिल्ली स्थित चीनी राजदूत सुन वीदोंग और पेइचिंग स्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी से जो भेंट-वार्ताएँ प्रसारित की हैं, वे राष्ट्र विरोधी हैं और वे चीनी रवैए का प्रचार करती हैं। उनसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का खंडन होता है।