चीनी ‘एप्स’ पर लगे प्रतिबंध का लगभग सभी ने स्वागत किया लेकिन हमारी सरकार एक ही दिन में पल्टा खा गई। उसने इन चीनी कंपनियों को 48 घंटे की मोहलत दी है कि वे बताएं कि उन पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाए? इन ‘एप्स’ पर सरकार के आरोप ये थे कि इनके द्वारा भारतीय नागरिकों की गोपनीय जानकारियां चीनी सरकार को जाती हैं। इससे भारत की सुरक्षा को ख़तरा पैदा होता है और भारत की संप्रभुता नष्ट होती है।
चीनी ‘एप्स’ पर बैन को लेकर पीछे क्यों हट रही है मोदी सरकार?
- विचार
- |
- |
- 2 Jul, 2020

‘एप्स’ पर लगे प्रतिबंध से चीनी सरकार बौखला गई है। भारत सरकार यही चाहती थी। यही दबाव न तो फौजी कार्रवाई करके, न ही राजनयिक दबाव बनाकर और न ही व्यापारिक बहिष्कार करके बनाया जा सकता था। इसमें भारत का कुछ नहीं बिगड़ा और चीन पर दबाव भी पड़ गया। चीन की इन कंपनियों को लगभग 7500 करोड़ का नुकसान भुगतना पड़ सकता है।
यदि भारत के पास इसके ठोस प्रमाण हैं तो इन चीनी कंपनियों को मोहलत देने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। यदि बिना ठोस प्रमाणों के भारत सरकार ने यह कार्रवाई कर दी है तो निश्चय ही उसे अपना यह कदम वापस लेना पड़ेगा और इसके कारण उसकी बड़ी बदनामी होगी। विपक्षी दल उसकी खाल नोंच डालेंगे। वे कहेंगे कि चीनी ‘एप्स’ पर प्रतिबंध की घोषणा वैसी ही है, जैसे लॉकडाउन (तालाबंदी) की घोषणा थी या नोटबंदी की घोषणा की गई थी। यह सरकार बिना सोचे-समझे काम करने वाली सरकार की तरह कुख्यात हो जाएगी।