लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में तीन भारतीय जवान शहीद हो गए हैं। इनमें एक आर्मी अफ़सर भी शामिल हैं। यह झड़प सोमवार (15 जून) को हुई थी। बताया गया है कि झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया लेकिन गोली नहीं चली है।
घटना के सामने आने के बाद दोनों ओर के सैन्य अधिकारियों ने हालात को सामान्य करने के लिए बातचीत की। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भारत एकतरफा कार्रवाई न करे और कोई परेशानी नहीं बढ़ाए।
घटना सामने आते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने हालात पर चर्चा की। इस दौरान चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत, आर्मी प्रमुख, एयर फ़ोर्स और नेवी के प्रमुख भी मौजूद थे।
‘भारतीय सैनिकों ने पार की सीमा’
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़, चीन के विदेश मंत्री ने कहा है, ‘भारतीय जवानों ने सोमवार को दो बार अवैध रूप से सीमा को पार किया और चीनी जवानों पर हमला किया, इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़पें हुईं।’ विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन और भारत बातचीत के जरिये द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने पर सहमत हैं और सीमा के इलाक़ों में शांति बनाए रखना चाहते हैं। भारतीय सेना ने कहा है कि गलवान घाटी में दोनों ओर के जवान हताहत हुए हैं।
यह घटना तब हुई है, जब हाल ही में आर्मी प्रमुख जनरल एम.एम.नरवणे ने कहा था कि चीन के साथ लगने वाली भारतीय सीमाओं पर हालात नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा था कि दोनों ओर की सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है और ऐसी उम्मीद है कि लगातार बातचीत के जरिये हम सभी मतभेदों को सुलझा लेंगे।
पिछले हफ़्ते चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि दोनों देश एलएसी पर चल रहे तनाव को बातचीत के जरिये सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए सहमत हैं।
दोनों देशों के बीच चार हजार किमी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई इलाक़ों पर अक्सर एक-दूसरे के सैनिकों द्वारा अतिक्रमण की वारदात और झड़प होती हैं जिन्हें आम तौर पर आपसी बातचीत के द्वारा सुलझा लिया जाता है। अतिक्रमण की वारदात इसलिए होती हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं निर्धारित नहीं हैं और दोनों की इसे लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं।
सीमाओं पर गश्त के दौरान जब सेनाएं एक-दूसरे के मान्यता वाले इलाक़े में जानबूझ कर या ग़लती से प्रवेश कर जाती हैं तो सैनिकों के बीच कुछ तनातनी होती है और फिर ध्वज बैठकों के द्वारा मसलों को सुलझाने की कोशिश की जाती है।
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