“नाबालिग बच्ची के स्तनों को दबाना, उसके पाजामे के नाड़े को तोड़ना बलात्कार की कोशिश नहीं है।“ यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट का था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इन दिनों बहुत कम मौके ऐसे होते हैं जब देश का सर्वोच्च न्यायालय कोई नज़ीर पेश करता है। सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा फैसला ऐसा ही एक विरल मौका है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अमानवीय फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रोक लगाई
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- 26 Mar, 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि नाबालिग को छूना और उसके पाजामे के नाड़े को फाड़ना "रेप का प्रयास" नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को "असंवेदनशील" बताते हुए उस पर रोक लगा दी। लेकिन यह फैसला सवाल खड़े करता है कि कोई जज किस तरह ऐसी असंवेदनशील टिप्पणी कर सकता है। जानिए पूरा विवरणः
