क्या वोटर आईडी से आधार को जोड़ना इतना आसान है? ख़ासकर तब जब 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार के इस्तेमाल को कल्याणकारी योजनाओं और पैन लिंकिंग तक सीमित कर दिया था। क्या स्वैच्छिक बताकर इसे आधार से जोड़ा जा सकता है? एक सवाल यह भी है कि जब वोटर के आधार नंबर देना स्वैच्छिक है तो तरह-तरह के नियम लगाने की कोशिश क्यों हो रही है? 'मेरे पास आधार नंबर नहीं है, इसलिए मैं इसे देने में असमर्थ हूं' वाले वोटर के डेक्लेयरेशन पर जब आपत्ति उठी तो अब निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश होकर वजह बताने के प्रस्ताव की तैयारी क्यों? आधार नंबर नहीं देना, ये कैसी स्वैच्छिकता है? आइए, पूरे इस मामले को समझते हैं।