क्या वोटर आईडी से आधार को जोड़ना इतना आसान है? ख़ासकर तब जब 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार के इस्तेमाल को कल्याणकारी योजनाओं और पैन लिंकिंग तक सीमित कर दिया था। क्या स्वैच्छिक बताकर इसे आधार से जोड़ा जा सकता है? एक सवाल यह भी है कि जब वोटर के आधार नंबर देना स्वैच्छिक है तो तरह-तरह के नियम लगाने की कोशिश क्यों हो रही है? 'मेरे पास आधार नंबर नहीं है, इसलिए मैं इसे देने में असमर्थ हूं' वाले वोटर के डेक्लेयरेशन पर जब आपत्ति उठी तो अब निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश होकर वजह बताने के प्रस्ताव की तैयारी क्यों? आधार नंबर नहीं देना, ये कैसी स्वैच्छिकता है? आइए, पूरे इस मामले को समझते हैं।
वोटर आईडी से आधार जोड़ने में ECI का नया पेंच, वोटरों की मुश्किल बढ़ेगी!
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- 26 Mar, 2025
चुनाव आयोग के नए प्रस्ताव के तहत, जो मतदाता अपना आधार नंबर देने से इनकार करेंगे, उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इसका कारण बताना पड़ सकता है। क्या यह मतदाता स्वतंत्रता पर असर डालेगा?

दरअसल, चुनाव आयोग ने एक नया प्रस्ताव सामने रखा है, जिसके तहत यदि कोई मतदाता अपने आधार नंबर को साझा करने से इनकार करता है, तो उसे व्यक्तिगत रूप से निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी यानी ईआरओ के सामने उपस्थित होकर इसकी वजह बतानी पड़ सकती है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्ताव चुनाव आयोग के उस दावे को मज़बूत करने के लिए लाया जा रहा है, जिसमें उसने अदालत में कहा था कि आधार नंबर देना पूरी तरह से स्वैच्छिक है।