कोरोना की वैक्सीन तो आ गई, लेकिन ये सबसे पहले किन्हें लगायी जाएँगी? देश में 130 करोड़ की आबादी को एक साथ टीका लगाना संभव तो होगा नहीं, फिर किस आधार पर तय होगा कि सबसे पहले वैक्सीन किसे लगाई जाए? एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया इसका जवाब देते हैं। कोरोना संक्रमण को काबू करने के प्रयास में लगे रहे गुलेरिया यह भी बताते हैं कि वैक्सीन की पूरी तैयारी कैसी चल रही है।
सभी लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगेगी या नहीं, इस पर उठ रही आशंकाओं को दूर करते हुए डॉ. गुलेरिया ने साफ़ किया कि शुरुआत में सभी भारतीयों को टीका लगाना संभव नहीं होगा।
गुलेरिया ने इस पर ज़ोर दिया कि एक प्राथमिकता की सूची बनानी पड़ेगी कि सबसे पहले किसे वैक्सीन लगाई जाए। एएनआई से बातचीत में गुलेरिया ने कहा, 'शुरुआत में टीका सभी को देने के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होगा। हमें यह देखने के लिए प्राथमिकता सूची की ज़रूरत है कि हम उन लोगों का टीकाकरण करें जिनके कोरोना के कारण मरने की ज़्यादा आशंका हो। बुजुर्ग, एक साथ कई बीमारी से जूझने वाले लोगों और फ्रंट लाइन वर्कर्स को सबसे पहले टीका लगाया जाना चाहिए।'
डॉ. गुलेरिया का यह जवाब इसलिए अहम है क्योंकि कोरोना वैक्सीन के आने की ख़बरों के बीच यह पूछा जा रहा है कि आख़िर टीका लगाने के लिए किस आधार पर लोगों को चुना जाएगा।
राहुल गांधी ने भी हाल ही में चार सवाल पूछे थे-
- भारत सरकार सभी कोरोना वैक्सीन उम्मीदवारों में से किसका चयन करेगी और क्यों?
- पहले टीका किसे मिलेगा और वितरण रणनीति क्या होगी?
- क्या मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए PMCares फंड का उपयोग किया जाएगा?
- सभी भारतीयों को कब टीका लगाया जाएगा?
The PM must tell the nation:
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 23, 2020
1. Of all the Covid vaccine candidates, which will GOI choose & why?
2. Who will get the vaccine first & what will be the distribution strategy?
3. Will PMCares fund be used to ensure free vaccination?
4. By when will all Indians be vaccinated?
वैक्सीन सुरक्षित पहुँचेगी कैसे?
इसके अलावा एक और अहम सवाल उठ रहा है। कोरोना के खौफ़ के बीच वैक्सीन से लोगों की बड़ी उम्मीद बंधी है, लेकिन वैक्सीन को सुरक्षित रखने और लोगों तक पहुँचाने की व्यवस्था कैसी होगी? क्या इसकी तैयारी सरकार ने की है और यदि की है तो यह तैयारी कैसी है? ये सवाल इसलिए कि वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए फ़्रीज़िंग की ज़रूरत होगी। कुछ वैक्सीन के लिए यह फ़्रीजिंग -80 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए।
जिन वैक्सीन को सामान्य फ़्रीज़ में रखा नहीं जा सकता है उन्हें देश भर में दूर-दराज तक पहुँचाना, स्टोर रखना और फिर इसे लोगों को टीका लगाना क्या बड़ी चुनौती नहीं होगी?
यह सवाल ख़ासकर मॉडर्ना और फाईज़र वैक्सीन के संदर्भ में ज़्यादा उठता है। रिपोर्टों में कहा गया है कि इन दोनों वैक्सीन को -20 से लेकर -80 डिग्री सेल्सियस यानी ज़ीरो से भी नीचे के तापमान पर रखना होगा। लेकिन ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के संदर्भ में ऐसा नहीं है।
ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को सामान्य रेफ़्रिजरेटर के तापमान पर भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इसीलिए कहा जा रहा है कि भारत के लिए ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन ज़्यादा सही और दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुँचाने के लिए आसान होगी। लेकिन यह वैक्सीन देश की इतनी बड़ी ज़रूरतों को समय पर पूरी करने में शायद सक्षम न हो और दूसरी वैक्सीन को भी लाने की ज़रूरत पड़े।
इस सवाल के जवाब में गुलेरिया कहते हैं कि कोल्ड चेन, उपयुक्त स्टोरहाउस की उपलब्धता, रणनीति, वैक्सीनेटर के प्रशिक्षण और सीरिंज की उपलब्धता के मामले में केंद्र और राज्य स्तर पर टीकाकरण वितरण योजना के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल आख़िरी चरण में है और उम्मीद जताई कि इस महीने के आख़िर में या अगले साल की शुरुआत में उपयोग के लिए आपात मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका डाटा उपलब्ध है कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। 70 से 80 हज़ार वॉलिंटियर को टीका लगाए जाने पर कोई गंभीर साइड इफ़ेक्ट नहीं मिले हैं।
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