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प्रतीकात्मक फाइल फोटो

भारत का सोलर मिशन आदित्य - एल 1 आज रवाना होगा

सूर्य से संबधित जानकारियां एकत्र करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला भारत का पहला सोलर मिशन शनिवार 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 प्वाइंट पर स्थापित किया जाएगा, इस जगह से यह सूर्य का अध्ययन करेगा। यह कारण है कि इसका नाम आदित्य - एल 1 रखा गया है। मिली जानकारी के मुताबिक इस मिशन को दो सितंबर की दोपहर 11.50 बजे श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। 

चांद पर अपना कदम रखने के बाद इसरो अब सूर्य से जुड़े मिशन को आगे बढ़ाने जा रहा है। इससे भारत को सूर्य से जुड़ी अहम जानकारियां मिलेंगी जो भविष्य के शोध की दशा और दिशा तय करेंगी। इस मिशन की उल्टी गिनती शुक्रवार से ही शुरु हो जाएगी। 
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सूर्य की जानकारियां एकत्र करने के लिए अंतरिक्ष में जाने वाले आदित्य - एल 1 मिशन को लेकर कहा है कि हम इसे लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। हमने लॉन्च करने के लिए रिहर्सल पूरा कर लिया है।  
वहीं इस मिशन को लेकर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ वाईएस राजन का मानना है कि आदित्य मिशन को 2008 में ही पृथ्वी के निकट की कक्षा में ले जाने की योजना बना ली गई थी। इसरो के पास 15 साल से भी अधिक समय से अंतरिक्ष अन्वेषण की योजना है। इसरो को अंतरग्रहीय मिशनों की आगे की चुनौतियों का भी सामना करना होगा। 

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सूर्य के लिए पहली बार भारत भेज रहा मिशन 

सूर्य से जुड़ी जानकारियों के लिए भारत पहली बार अपना मिशन अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। सूर्य का दूसरा नाम आदित्य भी होता है। इसरो की ओर भेजे जा रहे इस मिशन को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 प्वाइंट पर स्थापित किया जाएगा। यह एक ऐसा प्वाइंट है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बलों का संतुलन होने के चलते वस्तुएं यहां पर ठहर सकती हैं। इससे ईंधन का खपत भी कम होती है। इसरो का यह मिशन अगर कामयाब होता है तो सूर्य की कई अहम जानकारियां सामने आएंगी। माना जा रहा है कि इस मिशन से मिलने वाली जानकारियां सौर उर्जा को लेकर भविष्य की रिसर्च का रास्ता भी साफ होगा। 

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चंद्रयान - 3 मिशन लगातार दे रहा है डेटा

 वहीं इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन में सब कुछ ठीक तरह से चल रहा है। चंद्रयान - 3 सारा डेटा बहुत अच्छे से भेज रहा है। हमें उम्मीद है कि इसके लक्ष्य के मुताबिक 14 दिन के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा। तब तक चांद से जुड़ी कई नई जानकारियां हमें मिलेंगी। 
बीते दिनों चांद पर सल्फर समेत कई अन्य धातुएं पाई गई थी। इसको लेकर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा है कि चंद्रयान - 3 मिशन के कारण चांद पर इस बार सल्फर बहुत प्रमुखता से दिखाई दिया है। उन्होंने कहा है कि  इससे पहले भी चंद्रमा की सतह पर सल्फर पाया गया था लेकिन इतनी प्रमुखता से नहीं मिला था। यह एक अच्छा संकेत है कि सल्फर उपलब्ध है। इसके अलावा, ऑक्सीजन के निशान भी मिले हैं। चंद्रयान अब हाइड्रोजन की उपलब्धता की भी तलाश कर रहा है। उन्होंने कहा है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों को एक साथ रखने के बाद हम भविष्य में पानी पैदा करने के बारे में सोच सकते हैं। 

प्रज्ञान रोवर ने खींची थी विक्रम लैंडर की तस्वीरें

 इसरो द्वारा चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने बीते बुधवार को विक्रम लैंडर की तस्वीरें खींची थी। प्रज्ञान के नेविगेशन कैमरे ने विक्रम की ये तस्वीरें क्लिक की है। इसरो ने इसकी खींची हुई दो अलग-अलग समय की तस्वीरें सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर जारी किया था। इसरो ने बुधवार की सुबह 7.35 बजे की पहली तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा था कि स्माइल प्लीज।
इसरो ने इस तस्वीर को मिशन की तस्वीर कहा था। इसके बाद इसरो ने उसी दिन सुबह 11 बजे ली हुई दूसरी तस्वीर भी जारी की थी। इसे एक्स पर पोस्ट करते हुए इसरो ने लिखा था कि, एक बार फिर, सहयात्री प्रज्ञान ने विक्रम को एक झटके में पकड़ लिया! इसरो ने कहा है कि यह तस्वीर 15 मीटर से ली गई थी।
रोवर में लगे इन नेविगेशन कैमरों को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला ने विकसित किया है। यह पहला मौका था जब रोवर प्रज्ञान ने उसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले लैंडर विक्रम की फुल व्यू तस्वीर ली थी। इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन से जितनी भी तस्वीरें और वीडियो प्राप्त हुए थे वह सभी लैंडर विक्रम ने खींचे थे। 

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश है भारत 

23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा था। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के नाम यह उपलब्धि थी। इस मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत की इस कामयाबी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की सतह से चांद के एक दिन यानि धरती के 14 दिन तक लगातार डाटा भेजने की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों के लिए चांद से मिलने वाली ये जानकारियां बेहद अहम हैं। इससे चांद को और बेहतर तरीके से जाना और समझा जा सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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