कोरोना वायरस मरीज़ों की बीमा के बारे में जो आँकड़े आए हैं उससे सरकारी अस्पताल की दुरुस्त व्यवस्था से ज़्यादा स्वास्थ्य बीमा पर विश्वास करने वाले लोगों को झटका लग सकता है। देश भर में कोरोना वायरस के मरीज़ों के मामले जब 1 लाख 80 हज़ार से ज़्यादा हो गए, तब भी सिर्फ़ 5600 लोगों ने ही स्वास्थ्य बीमा के दावे किए। इसका मतलब साफ़ है कि बाक़ी के लोगों को अपनी जेब से ख़र्च करना पड़ा है या पड़ रहा है। जब ग़रीब लोगों के भूखों मरने की नौबत आ रही है तो कोरोना के इलाज के लिए रुपये वे कहाँ से लाएँगे?
कोरोना: 1.8 लाख मरीज़ों में से सिर्फ़ 5600 बीमा के दावे, बाक़ी कैसे करा रहे इलाज?
- देश
- |
- |
- 2 Jun, 2020
कोरोना वायरस मरीज़ों की बीमा के बारे में जो आँकड़े आए हैं उससे अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त करने से ज़्यादा स्वास्थ्य बीमा पर विश्वास करने वाले लोगों को झटका लग सकता है।

अब यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि निजी अस्पताल के बिल भरने वालों की स्थिति कैसी हो जाती है। ऐसे में जब कोरोना संकट के कारण लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं और आमदनी के दूसरे साधन भी बंद हैं तो इलाज कराने वालों पर कैसी आफत आन पड़ी होगी। यदि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहतर होतीं तो लोगों को निजी अस्पतालों पर निर्भर नहीं होना पड़ता।