हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, इसका पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को बेसब्री से इंतजार है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के चयन का मसला तो सुलझा लिया लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर वह अब तक कोई फैसला नहीं कर पाई है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 11 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन इसके बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार का मामला अटका हुआ है।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इसके अलावा राज्यपाल भी 25 दिसंबर से राज्य से बाहर हैं, बताया गया है कि इस वजह से कैबिनेट विस्तार का काम लटक गया है और जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में इस दिशा में कामकाज आगे बढ़ेगा।
अगले महीने विधानसभा का सत्र भी होना है।
68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली थी।
बता दें कि मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा मंडी से सांसद और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का नाम भी चल रहा था।
10 और मंत्रियों की है जगह
मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद अब 10 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। सुक्खू कैबिनेट में कौन से चेहरे होंगे, इसे लेकर सियासी गुणा-भाग जोरों से चल रही है। सभी बड़े नेता अपने समर्थकों को मंत्री बनवाना चाहते हैं। इंडिया टुडे के मुताबिक सुक्खू और प्रतिभा सिंह ने अपने पांच-पांच समर्थक विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाने की सिफारिश हाईकमान के सामने रखी है।
प्रतिभा सिंह क्योंकि मुख्यमंत्री बनने से चूक गई हैं इसलिए वह मंत्रियों की नियुक्ति के मामले में ज्यादा हिस्सा चाहेंगी। मंत्रिमंडल के गठन को लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला लगातार माथापच्ची कर रहे हैं।
कांग्रेस का प्रदर्शन ऊना, हमीरपुर, सोलन और शिमला जिलों में अच्छा रहा है और इन सभी जिलों में बीजेपी केवल एक-एक सीट जीतने में कामयाब रही है। इसलिए इन जिलों को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
पार्टी हाईकमान को सुक्खू और प्रतिभा सिंह के खेमों के बीच संतुलन बनाते हुए मंत्रिमंडल का गठन करना होगा। इसके अलावा विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के पद के लिए भी जंग चल रही है। पार्टी नेताओं को इस संबंध में हाईकमान से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
जातीय समीकरण का रखना होगा ध्यान
कांग्रेस को मंत्रिमंडल गठन में जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखना होगा। प्रदेश में 33 फीसद आबादी राजपूत समुदाय की है जबकि 18 फीसद आबादी ब्राह्मण समुदाय की है। दलित समुदाय के मतदाता 25 फीसद, अनुसूचित जनजाति के मतदाता 5 फीसद और ओबीसी आबादी 13 फीसद है। कांग्रेस को सभी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही मंत्रियों का चुनाव करना होगा।
इसके अलावा क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधना होगा। शिमला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को 13 सीटों पर जीत मिली है जबकि कांगड़ा से 12, हमीरपुर से 10 और मंडी में 5 सीटों पर जीत मिली है। ऐसे में मंत्रिमंडल गठन में इन संसदीय क्षेत्रों के विधायकों को भी पार्टी को जगह देनी होगी।
यह नेता बन सकते हैं मंत्री
सुक्खू के मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों में विक्रमादित्य सिंह का नाम तय है। विक्रमादित्य सिंह प्रतिभा सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। इसके बाद मंत्री बनने वाले विधायकों में धर्मशाला सीट से जीते सुधीर शर्मा, शिलाई से जीते हर्षवर्धन चौहान, सोलन से जीते धनीराम शांडिल, जुब्बल-कोटखाई से जीते रोहित ठाकुर, कुसुम्पटी से जीते अनिरुद्ध सिंह, घुमारवीं से जीते राजेश धर्माणी, ठियोग से जीते कुलदीप राठौर, किन्नौर से जीते जगत सिंह नेगी के नाम की चर्चा है।
कुलदीप सिंह राठौर को विधानसभा उपाध्यक्ष और धनीराम शांडिल को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा भी चल रही है।
याद दिलाना होगा कि इस साल जून में जब शिवसेना में बगावत हुई थी तो उसके बाद महाराष्ट्र की बीजेपी-एकनाथ शिंदे की सरकार को भी कैबिनेट विस्तार करने में काफी वक्त लगा था।
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