हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार सूबे का मुखिया बनने के लिए सारे सियासी दांव आजमा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चयन का फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया गया है लेकिन कांग्रेस के सियासी सूरमाओं ने अपनी दावेदारी को पुख्ता करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
कांग्रेस पर्यवेक्षकों के रूप में प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शिमला पहुंचे थे। उन्होंने कांग्रेस के सभी 40 विधायकों से अकेले में बात कर उनका मन टटोला और आज कांग्रेस नेतृत्व को उनकी राय से अवगत कराया जाएगा।
बगावत का डर
कांग्रेस को इस मामले में बेहद सोच-समझकर कदम उठाना होगा क्योंकि कई राज्यों में पार्टी नेताओं के आपसी झगड़ों के कारण उसकी खासी किरकिरी हो चुकी है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का झगड़ा जगजाहिर है। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव की सियासी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है।
इससे पहले मध्य प्रदेश में सरकार में रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर आमने-सामने रहे थे और बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से कांग्रेस की सरकार चली गई थी।
कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहेगा कि किसी भी सूरत में हिमाचल प्रदेश में ऐसी किसी स्थिति का सामना करना पड़े इसलिए सर्वसम्मति से ही इस बारे में कोई फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा।
उपमुख्यमंत्री बना सकती है कांग्रेस
चर्चा इस तरह की भी है कि कांग्रेस पहली बार हिमाचल प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बना सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतिभा सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री का नाम भी शामिल है। ऐसे में नाराजगी को थामने के लिए किसी नेता को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी दी जा सकती है।
प्रतिभा सिंह की दावेदारी
प्रतिभा सिंह ने मुख्यमंत्री के पद पर खुलकर दावेदारी की है और कहा है कि उनके पति और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके बेटे और शिमला ग्रामीण सीट से विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी कहा है कि उनकी मां मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं और वह उनके लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं।
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प्रतिभा सिंह-सुक्खू में है लड़ाई
मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी लड़ाई प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच ही नजर आती है क्योंकि राज्य में राजपूत आबादी ज्यादा है इसलिए जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेतृत्व राजपूत नेता के चेहरे पर दांव लगाना चाहेगा। मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण हैं और हिमाचल प्रदेश में अब तक सिर्फ एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री शांता कुमार हुए हैं।
मुकेश अग्निहोत्री को वीरभद्र सिंह का करीबी माना जाता था और एक चर्चा यह भी है कि मुकेश अग्निहोत्री प्रतिभा सिंह के नाम पर सहमत हो सकते हैं।
हिमाचल से आ रही खबरों के मुताबिक, सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास 15 विधायकों का समर्थन है जबकि प्रतिभा सिंह के कैंप में भी लगभग 20 विधायक हैं। 5 से 6 विधायकों का समर्थन मुकेश अग्निहोत्री के साथ बताया जाता है।
वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे और इसलिए पूरे राज्य में प्रतिभा सिंह के समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है।
कांग्रेस नेतृत्व के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि वह विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का चुनाव करे या नहीं। अगर वह विधायकों में से मुख्यमंत्री का चुनाव करता है तो प्रतिभा सिंह इस दौड़ से बाहर हो जाएंगी लेकिन वीरभद्र सिंह का परिवार इस कुर्सी पर अपना दावा जता चुका है।
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लेकिन मंडी संसदीय क्षेत्र की 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है। ऐसे में सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पद पर प्रतिभा सिंह का दावा किस तरह मजबूत बैठता है क्योंकि वह अपने संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को नहीं जिता सकी हैं।
हालांकि प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि वह पार्टी हाईकमान के फैसले के साथ हैं लेकिन यह साफ है कि ये नेता मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा मजबूती से ठोक रहे हैं।
बहरहाल, शनिवार को कांग्रेस के पर्यवेक्षक इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंप देंगे और जल्द ही मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।
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