हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली है जबकि बीजेपी ने 25 सीटें जीती हैं। 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 35 विधायक चाहिए। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री का चयन करना है क्योंकि पार्टी में कई चेहरे मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं।
कांग्रेस के सामने एक और चुनौती अपने विधायकों को सेंधमारी से बचाने की भी है और इसके लिए उसने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदारी सौंप दी है।
हिमाचल कांग्रेस में कई नेता मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस का यह कहकर मजाक उड़ाया था कि उसके पास मुख्यमंत्री पद के 8 दावेदार हैं।
कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम मंडी से कांग्रेस की सांसद और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का आता है। प्रतिभा सिंह के अलावा मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का भी नाम है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और छह बार विधायक रहीं आशा कुमारी और 8 बार विधायक रह चुके कौल सिंह ठाकुर भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शामिल हैं लेकिन यह दोनों ही नेता इस बार चुनाव हार गए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी लड़ाई प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के बीच में होगी।
आइए, इन तीनों नेताओं के बारे में जानते हैं।
प्रतिभा सिंह
प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे राजा वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं। प्रतिभा सिंह साल 2004 में पहली बार मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। 2013 में उन्होंने निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इसी सीट से चुनाव हराया था। पिछले साल हुए मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भी उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा को शिकस्त दी थी। वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे और इसलिए पूरे राज्य में उनके समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है।
कांग्रेस नेतृत्व के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि वह विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का चुनाव करे या नहीं। अगर वह विधायकों में से मुख्यमंत्री का चुनाव करता है तो प्रतिभा सिंह इस दौड़ से बाहर हो जाएंगी लेकिन ऐसा माना जाता है कि वीरभद्र सिंह का परिवार इस कुर्सी पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा।
उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह भी शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव जीत कर आए हैं। हालांकि विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल और हाईकमान के द्वारा ही किया जाएगा लेकिन उनकी मां प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन सीट से विधायक चुने गए हैं। वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और इस बार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की प्रचार कमेटी के अध्यक्ष थे। सुखविंदर तीन बार विधायक रहे हैं और राज्य में उनके समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है। हालांकि सुखविंदर ने कहा है कि हिमाचल में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही करेगा लेकिन वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, यह बात हिमाचल में उनके समर्थक जोर-शोर से कहते हैं।
मुकेश अग्निहोत्री
मुकेश अग्निहोत्री हरौली सीट से चुनाव जीते हैं। वह चार बार विधायक रहे हैं और साल 2017 में उन्हें कांग्रेस ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जैसे बड़े पद पर बैठाया था। हिमाचल में राजपूत जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है और अब तक सिर्फ एक ही ब्राह्मण मुख्यमंत्री शांता कुमार के रूप में प्रदेश को मिला है। ऐसे में जातीय समीकरणों के लिहाज से मुकेश अग्निहोत्री का दावा कमजोर दिखाई देता है।
कुर्सी को लेकर लड़ाई
देखना होगा कि कांग्रेस मुख्यमंत्री की कुर्सी किस नेता को सौंपती है। लेकिन उसे इस मामले में बेहद सोच-समझकर कदम उठाना होगा क्योंकि कई राज्यों में पार्टी नेताओं के आपसी झगड़ों के कारण उसकी खासी किरकिरी हो चुकी है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का झगड़ा जगजाहिर है। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव की सियासी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है।
इससे पहले मध्य प्रदेश में सरकार में रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर आमने-सामने रहे थे और बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से कांग्रेस की सरकार चली गई थी।
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