गुजरात चुनाव से ऐन पहले जब राज्य में मोरबी का झूलता पुल हादसा हुआ था तो बीजेपी के वोटबैंक के प्रभावित होने के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसा इसलिए कि वहाँ हादसे के बाद लाशों की कतारें लग गई थीं और इसके लिए लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिस मोरबी ने लाशों की कतारें देखी थीं वहाँ भी बीजेपी को ख़ूब वोट मिले। बीजेपी के उम्मीदवार को उनके विरोधी उम्मीदवार से दोगुने से ज़्यादा वोट मिले और क़रीब 62 हज़ार वोटों के अंतर से जीत हुई।
गुजरात के मोरबी शहर में 30 अक्टूबर को दशकों पहले बना झूलता पुल ढह गया था। उसमें 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। उस पुल का तब नवीनीकरण किया गया था और उसे चार दिन पहले ही फिर से खोला गया था। जांच ने नगरपालिका अधिकारियों की विफलता की ओर इशारा किया है क्योंकि नवीकरण ठेकेदार ने कथित तौर पर मानदंडों का पालन नहीं किया था।
पहले कुछ लोग कयास लगा रहे थे कि इसका चुनाव पर असर होगा। लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम पर इसका कैसा प्रभाव पड़ा, यह चुनावी नतीजे ही बताते हैं। पहले यह सीट कांग्रेस की झोली में थी।
मोरबी विधानसभा सीट पर बीजेपी के कांतिलाल अमृतिया को 1 लाख 14 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले, जबकि कांग्रेस के जयंतीलाल पटेल को 52 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले। पाँच बार के विधायक अमृतिया ने इस चुनाव में अपना अभियान पुल दुर्घटना स्थल पर अपने बचाव अभियान के ईर्द-गिर्द रखा था। सोशल मीडिया पर आए कुछ वीडियो में कथित तौर पर अमृतिया को मोरबी पुल हादसे में लोगों को बचाते हुए देखा गया था। उनके नदी में तैरने के वीडियो वायरल हुए थे।
मोरबी हादसे के लिए कई गड़बड़ियों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। गुजरात हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने मोरबी में हुए पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने मोरबी नगरपालिका को फटकार लगाते हुए ओरेवा ग्रुप की कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग को ब्रिज की मरम्मत का ठेका दिए जाने पर सवाल उठाया था।
हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को और राज्य के मानवाधिकार आयोग को नोटिस भी जारी किया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार बताए कि उसने इस हादसे को लेकर क्या-क्या कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने इस मामले में शुक्रवार को मोरबी नगरपालिका के चीफ अफसर (सीओ) संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया था।
कांग्रेस और आप ने इस घटना को लेकर बीजेपी सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा था और दावा किया था कि एक पुल का ठीक से रखरखाव नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा था कि यह पुल हादसा सत्ताधारी दल के विकास के दावों की पोल खोल रहा था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में अमृतिया कांग्रेस के बृजेश मेरजा से हार गए थे। हालाँकि, मेरजा ने 2020 में बीजेपी का दामन थाम लिया था, बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में बाद का उपचुनाव जीता और भूपेंद्र पटेल की निवर्तमान सरकार में मंत्री बने। हालाँकि, बीजेपी ने फिर से चुनाव लड़ने के लिए मेरजा को टिकट देने से इनकार कर दिया और इसके बजाय अमृतिया को मैदान में उतारा, जो 1995, 1998, 2002, 2007 और 2012 में लगातार पाँच बार इस सीट से जीते थे।
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