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मंडी जिले में आपदा प्रभावितों से बात करते सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश 'प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र' घोषित 

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। कई जिलों में भयानक भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं हो चुकी है। इसके कारण पिछले चार दिन में 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जगह-जगह रेस्क्यू टीमें लापता लोगों को तलाश रही हैं। इसको देखते हुए शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य को 'प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र' घोषित कर दिया है। 
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को जारी सरकारी आदेश में कहा गया है, मानव जीवन की हानि और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और निजी संपत्ति की क्षति की अभूतपूर्व गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने पूरे हिमाचल प्रदेश राज्य को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया है।
हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है और पिछले 55 दिनों में राज्य में भूस्खलन की लगभग 113 घटनाएं हो चुकी हैं। राज्य लोक निर्माण विभाग को हुए नुकसान का अनुमान करीब 2,491 करोड़ है, जबकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भी त्रासदियों में लगभग 1,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। 
इसमें कहा गया है कि पिछले चार दिनों में भूस्खलन और बादल फटने से मरने वालों की संख्या 75 से अधिक हो गई है और राज्य की राजधानी शिमला सबसे अधिक प्रभावित है।
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अवैज्ञानिक निर्माण है भूस्खलन का बड़ा कारण

हिमाचल प्रदेश में इस बरसात इतनी अधिक संख्या में भूस्खलन का कारण एक गंभीर चिंता का कारण बन गया है। हिमालय के इको सिस्टम के जानकार और इससे संबिधित विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर भूस्खलनों का कारण इस पूरे क्षेत्र में बढ़ती मानवीय गतिविधियां और अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण कार्य है।
हिमाचल में तेजी से हुए विकास कार्यों के कारण सड़कों और कंक्रीट की इमारतों का जाल बिछ चुका है। इसके कारण इस पहाड़ी क्षेत्र के इको सिस्टम को काफी नुकसान पहुंच रहा है। पानी के प्राकृतिक बहाव वाली जगहों पर भी इमारतें बन गई हैं। चौड़ी-चौड़ी सड़के बनाने के लिए पहाड़ों को विस्फोटों का इस्तेमाल कर काटा गया है। इससे पहाड़ अंदर ही अंदर घायल होते रहे हैं। इसका नतीजा भूस्खलन के रूप में सामने आ रहा है। 

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अनियंत्रित पर्यटन भी है इसका जिम्मेदार 

हिमाचल प्रदेश में आयी प्राकृितक आपदा का जिम्मेदार काफी हद तक अनियंत्रित पर्यटन भी है। इस आपदा के बाद हिमाचल प्रदेश की पर्यटन क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता पर भी अब सवाल उठ रहे हैं। पर्यटन गतिविधियां हिमालय क्षेत्र के नाजुक इको सिस्टम पर बहुत दबाव डाल रही हैं।
हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की आमद कितनी ज्यादा है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि 2022 में 86 लाख से ज्यादा पर्यटक हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए गए थे। इतने ज्यादा पर्यटकों के इस छोटी जगह पर पहुंचने के कारण हाल के वर्षों में तेजी से होटलों और सड़कों का निर्माण हुआ है। इसके कारण प्रकृति से छेड़छाड़ काफी बढ़ गयी है। पर्यटकों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने के लिए सही नीतियों के अभाव में इको सिस्टम को नुकसान पहुंच रहा है। यही कारण है कि हजारों वर्षों से शांत खड़े पहाड़ अब अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं।

हमें केंद्र से समय पर मदद की जरूरत है : सुक्खू 

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि केंद्रीय टीमों ने नुकसान के आकलन के लिए प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया है और हमें केंद्र से समय पर मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जून 2023 से अब तक हुआ कुल नुकसान 10,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।इस बीच मुख्यमंत्री ने हिमाचल के चारों सांसदों पर निशाना साधते हुए पूछा है कि क्या हिमाचल प्रदेश के चारों सांसदों ने दिल्ली में हिमाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, 24 जून से अब तक कम से करीब 217 लोगों की जान चली गई है। वहीं राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में 11,301 घर नष्ट हो गए हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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