हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की है और बीजेपी को सत्ता से विदा कर दिया है। कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली है जबकि बीजेपी ने 25 सीटें जीती हैं। 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं और यहां सरकार बनाने के लिए 35 विधायक चाहिए। कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गई है और उसने सभी नवनिर्वाचित विधायकों को चंडीगढ़ बुलाया है।
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को वोट डाले गए थे और इसमें 76.44 मतदान हुआ था।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी थी। बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस छोटे से राज्य में डेरा डाले रहे।
जबकि कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने चुनाव प्रचार किया।
कुछ अहम चुनाव नतीजे
हिमाचल प्रदेश में कुछ अहम सीटों की बात करें तो सिराज विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चुनाव जीत गए हैं। कांग्रेस के रोहित ठाकुर ने जुब्बल-कोटखाई सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार चेतन सिंह बरागटा को हराया जबकि किन्नौर सीट पर कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने बीजेपी के उम्मीदवार सूरत नेगी को शिकस्त दी।
कुसुम्पटी से कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह ने बीजेपी सरकार में मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज को चुनाव हराया है।
पावंटा साहिब सीट से बीजेपी सरकार में मंत्री रहे सुखराम चौधरी चुनाव जीते हैं। शिमला ग्रामीण सीट से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव जीते हैं।
शिमला जिले में आने वाली ठियोग सीट से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर चुनाव जीते हैं। कुलदीप सिंह राठौर का यह पहला विधानसभा चुनाव है। इससे पहले इस सीट से हिमाचल में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं विद्या स्टोक्स विधायक रही थीं। यहां से बीजेपी के टिकट पर अजय श्याम चुनाव मैदान में थे।
नादौन
इस सीट से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू चुनाव जीते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुक्खू इस सीट से चुनाव जीते थे। वह 2003 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं। बीजेपी ने यहां से विजय अग्निहोत्री को चुनाव मैदान में उतारा था। अग्निहोत्री ने 2012 के चुनाव में सुक्खू को हराया था लेकिन 2017 में उन्हें सुक्खू से हार का सामना करना पड़ा था।कुसुम्पटी
कुसुम्पटी से बीजेपी ने जयराम सरकार में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन वह चुनाव हार गए हैं। इससे पहले सुरेश भारद्वाज चार बार शिमला शहरी सीट से चुनाव जीत चुके थे लेकिन इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदल दी थी और इस वजह से यहां बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी थी। कांग्रेस ने यहां से विधायक अनिरुद्ध सिंह को टिकट दिया था। अनिरुद्ध सिंह यहां से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं।
कसौली (सुरक्षित)
बीजेपी ने यहां से जयराम सरकार में परिवार कल्याण मंत्री राजीव सैजल को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें हार मिली है। राजीव सैजल तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके थे और जीतने की उनकी क्षमता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी से था। राजीव सैजल दो बार विनोद सुल्तानपुरी को हरा चुके थे।
कौन होगा मुख्यमंत्री?
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री का चयन करना है क्योंकि पार्टी में कई चेहरे मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम मंडी से कांग्रेस की सांसद और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का आता है। प्रतिभा सिंह के अलावा मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का भी नाम है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और छह बार विधायक रहीं आशा कुमारी और 8 बार विधायक रह चुके कौल सिंह ठाकुर भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शामिल हैं लेकिन यह दोनों ही नेता इस बार चुनाव हार गए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी लड़ाई प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के बीच में होगी।
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