हिमाचल प्रदेश के विधानसभा भवन पर खालिस्तानी झंडे लगाए जाने और नारे लिखने का मामला सामने आने के बाद राज्य में रविवार रात से सुरक्षा बढ़ा दी गई। अंतरराज्यीय सीमाओं को भी सील कर दिया गया है। होटलों जैसी जगहों पर कड़ी निगरानी रखने का आदेश दिया गया है। दरअसल, इतनी चौकसी इसलिए की जा रही है कि विधानसभा भवन के बाहर जो नारे लिखे थे उसके साथ ही 'खालिस्तान' जनमत संग्रह का आह्वान किया गया था। इस मामले में अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून पर आतंकवाद विरोधी क़ानून यूएपीए और अन्य दंडात्मक अपराधों के तहत मामला दर्ज किया गया।
रिपोर्ट है कि प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस यानी एसएफजे ने घोषणा की है कि वह छह जून को हिमाचल प्रदेश में 'खालिस्तान' जनमत संग्रह कराएगा। हिमाचल में 'खालिस्तान' का यह मुद्दा सामने आने पर रविवार देर रात को सुरक्षा चौकसी बढ़ी हुई दिखी।
अंतरराज्यीय सीमाओं पर पुलिस बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि बम निरोधक इकाइयों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और राज्य के महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार डीजीपी ने स्पेशल सिक्योरिटी यूनिट, बम निरोधक दस्ता और क्विक रिएक्शन टीम को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है। इन्हें बस स्टेशनों, टाउन, सरकारी इमारतों और राष्ट्रीय इमारतों की सुरक्षा पुख्ता करने का आदेश दिया गया है।
आदेश की प्रति में पड़ोसी राज्यों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों से जुड़ी कई हालिया घटनाओं का भी ज़िक्र है।
राज्य सरकार का यह आदेश रविवार रात को सामने तब आया जब रविवार सुबह ही धर्मशाला में विधानसभा भवन के द्वार पर खालिस्तानी झंडे लगाए हुए मिले थे। धर्मशाला के बाहरी इलाक़े में स्थित विधानसभा परिसर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखे थे।
जयराम ठाकुर ने उस घटना तुरंत बाद रविवार सुबह ही ट्वीट किया, 'धर्मशाला विधानसभा परिसर के गेट पर खालिस्तान के झंडे लगाने की कायराना हरकत की निंदा करता हूँ।" उन्होंने आगे कहा कि इस विधानसभा में केवल शीतकालीन सत्र होने और इसी वजह से कम सुरक्षा व्यवस्था होने का फायदा उठाकर कायराना हरकत की गई है। मुख्यमंत्री ने चेताया था कि यदि ऐसी हरकत करने वालों की हिम्मत है तो रात के अंधेरे में नहीं, दिन के उजाले में सामने आएँ।
धर्मशाला विधानसभा परिसर के गेट पर रात के अंधेरे में खालिस्तान के झंडे लगाने वाली कायरतापूर्ण घटना की मैं निंदा करता हूं।
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) May 8, 2022
इस विधानसभा में केवल शीतकालीन सत्र ही होता है इसलिए यहां अधिक सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उसी दौरान रहती है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 अप्रैल को जारी एक खुफिया अलर्ट ने ऐसी घटना की चेतावनी दी थी। अलर्ट में दावा किया गया है कि सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र जारी कर कहा था कि शिमला में भिंडरावाले और खालिस्तान का झंडा फहराया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश ने भिंडरावाले और खालसीतानी झंडे ले जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे एसएफजे आंदोलन कर रहा था। संगठन ने घोषणा की थी कि वह 29 मार्च को खालिस्तानी झंडा फहराएगा लेकिन भारी सुरक्षा के कारण वह ऐसा नहीं कर सका था।
अपनी राय बतायें