हिमाचल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे कृपाल परमार सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर चर्चा का विषय बन गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दिन पहले एक वीडियो सामने आया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कृपाल परमार को फोन कर कहा था कि वह चुनाव मैदान से हट जाएं।
इसके बाद यह माना जा रहा था कि कृपाल परमार चुनाव मैदान से अपना नाम वापस ले लेंगे। लेकिन कृपाल परमार ने चुनाव मैदान से हटने से इनकार कर दिया है। कृपाल परमार कांगड़ा जिले की फतेहपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होनी है और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कृपाल परमार को फोन किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ था। यह कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बीजेपी की हालत इतनी खराब है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतने छोटे प्रदेश में बीजेपी के बागी नेताओं को चुनाव मैदान से हटने के लिए फोन करना पड़ रहा है।
कृपाल परमार ने इस मामले में एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि अगर नाम वापस लेने की तारीख से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें फोन करते तो वह जरूर अपना नामांकन वापस ले लेते लेकिन अब वह नाम वापस नहीं ले सकते।
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कृपाल परमार ने कहा कि फतेहपुर सीट पर उनके और कांग्रेस के बीच मुकाबला है और बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार यहां चुनावी लड़ाई में नहीं हैं। कृपाल परमार ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि साल 2021 में जब इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो जिस नेता ने उनके खिलाफ 2017 में चुनाव लड़ा था उसे बीजेपी में शामिल कर टिकट दे दिया गया लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तब कहा था कि वह चुनाव नहीं लड़ें और उन्होंने उपचुनाव में उनके आदेश का पालन किया।
कृपाल परमार ने कहा कि वह हिमाचल बीजेपी में तमाम बड़े पदों पर रहने के साथ ही राज्यसभा के भी सांसद रहे हैं लेकिन उन्हें इस कदर मारा गया कि उनका अहसास ही खत्म हो गया।
बीजेपी में इन सीटों पर बगावत
बीजेपी में मंडी, बिलासपुर सदर, कांगड़ा, धर्मशाला, झंडुता, चंबा, देहरा, कुल्लू, हमीरपुर, नालागढ़, फतेहपुर, किन्नौर, आनी, सुंदरनगर, नाचन और इंदौरा सीट पर बागी चुनाव मैदान में हैं जबकि कांग्रेस में पछड़, आनी, ठियोग, सुलह, चौपाल, आनी, हमीरपुर और अर्की सीटों पर नेता ताल ठोक रहे हैं। साफ है कि बीजेपी में बगावत ज्यादा है।
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मिशन रिपीट का नारा
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने मिशन रिपीट का नारा दिया है। साल 1985 के बाद से हिमाचल प्रदेश में हर विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता बदलती रही है। लेकिन बीजेपी के लिए इस बार बागी नेता मुसीबत का सबब बन गए हैं। 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 16 सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी ने इस बार अपने 11 विधायकों का टिकट काट दिया था।
बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 34 सीट ऐसी थी जिनमें हार और जीत का अंतर 5000 वोटों से कम का रहा था और 20 सीट ऐसी थी जहां पर हार जीत का अंतर 3000 वोटों से कम का रहा था। ऐसे में कई सीटों पर बागी उम्मीदवार त्रिकोणीय मुकाबला बना रहे हैं और बीजेपी को डर इस बात का है कि हिमाचल की सत्ता उसके हाथ से निकल सकती है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पार्टी के बड़े नेताओं ने राज्य में सरकार की वापसी के लिए पूरा जोर लगा दिया है। लेकिन देखना होगा कि पार्टी के नेताओं की बगावत क्या बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में भारी पड़ेगी।
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