लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हिमाचल बीजेपी में इन दिनों अजीब-सी बेचैनी का महौल है। यह बेचैनी इसलिये कि पार्टी के दो बड़े नेता बग़ावत कर सकते हैं। पार्टी को अंदरखाने लगने लगा है कि उसके कुछ बड़े नेता विपक्षी दल कांग्रेस के खेमे में मिलकर उसका खेल बिगाड़ सकते हैं। यही वजह है कि पार्टी का फोरम हो या फिर आम बातचीत, चर्चा यही है कि बीजेपी में कहीं बग़ावत न हो जाए।
दरअसल, हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद रहे सुरेश चंदेल और महेश्वर सिंह के कांग्रेस में जल्द ही शामिल होने की ख़बरें छन-छन कर सामने आ रही हैं। सुरेश चंदेल हमीरपुर से सांसद रहे हैं, तो महेश्वर सिंह मंडी से संसदीय चुनाव जीत चुके हैं। संयोग की बात यह है कि दोनों नेताओं के पास एक समय प्रदेश बीजेपी की कमान रही थी।
सुरेश चंदेल कांग्रेस से संपर्क में
हमीरपुर से इस समय तो अनुराग ठाकुर सांसद हैं, लेकिन सुरेश चंदेल उनसे पहले तीन बार यहाँ से सांसद रहे हैं। और 1998 से 2000 तक प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। बताया जा रहा है कि सुरेश चंदेल की पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से लगातार बैठकें हो रही हैं। उनकी पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और एआईसीसी की हिमाचल प्रभारी रजनी पाटिल से भी मुलाक़ात हो चुकी है।- चंदेल का इस कदर कांग्रेस नेताओं से अचानक मिलना-जुलना बीजेपी में बेचैनी पैदा कर रहा है। पार्टी को लगता है कि चंदेल पार्टी से बग़ावत कर सकते हैं। हालाँकि सीएम जय राम ठाकुर ने चंदेल को मनाने की कोशिशें भी की हैं। बावजूद इसके चंदेल का कांग्रेस प्रेम कम नहीं हुआ है।
महेश्वर सिंह की भी मुलाक़ात हुई
इसी तरह सत्तर वर्षीय पूर्व सांसद महेश्वर सिंह जो कि कुल्लू राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं, भी कांग्रेस नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं। महेश्वर सिंह मंडी चुनाव क्षेत्र से 1989, 1998 व 1999 में लोकसभा के लिये चुने गये थे। वह 1992 में राज्य सभा के लिये चुने गये थे। उनके पास लंबे अरसे तक हिमाचल बीजेपी की कमान रही। दो बार अध्यक्ष रहने के चलते एक समय महेश्वर सिंह का प्रदेश बीजेपी में ख़ासा दबदबा रहा था।
बदले हालातों में न तो चंदेल की और न ही महेश्वर सिंह की बीजेपी में कोई पूछ है। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने कांग्रेस में शामिल होने के लिये शर्त रखी है कि उन्हें पार्टी लोकसभा का टिकट दे। हालाँकि स्थानीय स्तर पर इसको लेकर कांग्रेस में विरोध भी है।
लेकिन एक कद्दावर कांग्रेस नेता का कहना है कि जब पार्टी आलाकमान फ़ैसला ले ही लेगा तो उसका विरोध कोई मायने नहीं रखता। अगर दोनों नेता कांग्रेस से जुड़ते हैं तो इससे कांग्रेस को फ़ायदा ही होगा। नुक़सान की कोई संभावना नहीं है।
महेश्वर सिंह पहले भी कर चुके थे बग़ावत
महेश्वर सिंह ने 2012 में असेंबली चुनावों से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से अपने मतभेदों के चलते बीजेपी से बग़ावत कर अपनी हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन कर लिया था। उन्होंने अपनी पार्टी के टिकट पर कुल्लू से चुनाव जीता। लेकिन 2017 में फिर बीजेपी में वापस चले गये। लेकिन पिछले असेंबली चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
- वह अब कांग्रेस में शामिल होने की जुगत भिड़ा रहे हैं। उनकी कोशिश रही है कि मंडी से इस बार रामस्वरूप शर्मा के बजाये बीजेपी उन्हें टिकट दे। लेकिन बीजेपी नेतृत्व इसके लिये तैयार नहीं है। यही वजह है कि महेश्वर सिंह ने भी अब अपने तेवर बदल लिये हैं। उनकी वीरभद्र सिंह से रिश्तेदारी है।
चंदेल को अनुराग ठाकुर, नड्डा से परेशानी?
यही हाल सुरेश चंदेल का है। पार्टी नेतृत्व हमीरपुर से मौजूदा सांसद अनुराग ठाकुर का टिकट काटने को तैयार नहीं है। चूँकि पार्टी में चंदेल के संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में आये नाम की वजह से आज तक पार्टी उन्हें पूरी तरह गले नहीं लगा पाई है। चंदेल के मुक़ाबले बिलासपुर से ही जे. पी. नड्डा सामने आ चुके हैं। अनुराग ठाकुर व नड्डा के मुक़ाबले बीजेपी में चंदेल कमज़ोर हैं। इसी वजह से चंदेल ने अपना राजनैतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिये कांग्रेस में जाने की तैयारी कर ली है।
कांग्रेस की भी मजबूरी
दरअसल, इन दिनों न तो मंडी से कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह और न ही हमीरपुर से मुकेश अग्निहोत्री चुनाव लडऩे को तैयार हैं। इसके चलते पार्टी के पास प्रभावशाली नेता नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी में यह सोच है कि दोनों नेता न केवल सांसद रहे हैं, बल्कि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। कांग्रेस को लगता है कि अगर ये दोनों पार्टी से जुड़ते हैं तो उससे बीजेपी पर दवाब बनेगा। दूसरे चुनाव क्षेत्रों में भी फ़ायदा होगा। बहरहाल, इस मामले पर कांग्रेस में मंथन का दौर चल रहा है। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस हमीरपुर के वर्तमान विधायक नरेन्द्र ठाकुर को लोकसभा के लिए टिकट दे चुकी है। लेकिन चुनाव हारने के बाद ठाकुर बीजेपी में लौट गये थे।
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