देश भर में कई जगह कांग्रेस नेताओं के यहाँ हो रही छापेमारी के बीच सोमवार को शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह ने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक पोस्ट डालकर सनसनी फैला दी कि सीबीआई और आईटी उनके आवास पर छापेमारी करने जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे व्रिकमादित्य सिंह ने अपने पोस्ट में दावा किया कि उन्हें यह जानकारी पुख्ता सूत्रों से मिली है। हालाँकि अभी तक उनके निवास हाली लाज या फिर रामपुर के महल में छोपमारी होने की कोई पुख्ता सूचना नहीं है।
माना जा रहा है कि व्रिक्रमादित्य सिंह ने संभावित ख़तरे को भाँपते हुये ही यह पोस्ट सोशल मीडिया में पहले लिख दिया ताकि अपने समर्थकों को अपनी बात पहले ही पुहँचा दी जाये और अगर ऐसा होता है तो छापेमारी करने आई टीम के लिये मुश्किलें खड़ी की जा सके।
बताया जा रहा है कि किसी भी जगह छापेमारी करने से पहले सीबीआई व आईटी संबंधित प्रदेश के चीफ़ सेक्रेटरी व डीजीपी को सूचित कर देती है ताकि स्थानीय पुलिस का सहयोग लिया जा सके। संभावना जताई जा रही है कि छापेमारी करने से पहले हिमाचल के अधिकारियों को जानकारी मिली, तो वहाँ किसी वीरभद्र समर्थक अधिकारी ने विक्रमादित्य सिंह तक यह जानकारी पहुँचा दी। इससे छोपमारी होने से पहले ही बवाल खड़ा हो गया। वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति का मामला अदालत में चल रहा है।
दरअसल, 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ जाँच शुरू की और उनके शिमला स्थित 11 ठिकानों पर 26 अक्टूबर 2015 में छापेमारी की थी। इससे पहले 23 अक्टूबर को सीबीआई ने इसी मामले में एफ़आईआर दर्ज की थी।
वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ क्या है मामला?
2009 से 2012 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह पर आरोप लगा कि उनके पास आय से क़रीब छह करोड़ रुपये अधिक संपत्ति है। इसी संपत्ति में से वीरभद्र सिंह ने क़रीब पांच करोड़ की रक़म एलआईसी में निवेश की। उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा और राज्य की राजनीति में वापस आए और 2012 में हिमाचल प्रदेश के शिमला ग्रामीण से चुनाव जीतकर विधायक और मुख्यमंत्री बने।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ सीबीआई ने फिर से जाँच शुरू की और उनके शिमला स्थित 11 ठिकानों पर 26 अक्टूबर 2015 में छापेमारी की। बाद में वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
दिसंबर 2015 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया लेकिन इसने मामले को हिमाचल हाईकोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट में शिफ्ट कर दिया। यह केस दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है।
ईडी ने पूरक आरोप पत्र में विक्रमादित्य को भी आरोपी बनाया था। उसके पहले 22 मार्च 2018 को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह समेत सभी आरोपियों को 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी। इस मामले में आरोपी वीरभद्र सिंह के एलआईसी एजेंट आनंद चौहान को 2 जनवरी 2018 कोर्ट ने जमानत दी थी।
अपनी राय बतायें