कोरोना की बूस्टर डोज़ लगाया जाए या नहीं, इसको लेकर दुनिया भर के डॉक्टरों में विवाद छिड़ गया है। कई डॉक्टर अब ये भी कह रहे हैं कि वैक्सीन की दो डोज़ से भी स्थाई नुक़सान हो रहा है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सुरक्षा एजेन्सी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले लोगों का प्राकृतिक इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो रहा है। इसके आधार पर कुछ डॉक्टरों का कहना है कि सरकारों को वैक्सीन नीति पर फिर से विचार करना चाहिए। इस विवाद के बीच ब्रिटेन ने तीसरी डोज़ लगाने की अनुमति दे दी है।

अनुमान है कि ये देश की 80 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करेगा लेकिन पिछली वेव की तरह अस्पतालों में जाने तथा ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की ज़रूरत नहीं होगी। इसलिए इस बार ज़्यादा चिंता की बात नहीं है। लेकिन सभी डॉक्टरों का मानना है कि बुज़ुर्गों की सुरक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी है।
इसराइल ने तो चौथी डोज़ लगाना शुरू कर दिया है। भारत में स्वास्थ्य कर्मियों और 60 साल से ऊपर के ऐसे लोगों को बूस्टर लगाने की अनुमति दी गयी है, जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है या फिर किसी और बीमारी से पीड़ित हैं। बूस्टर डोज़ का विरोध करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि प्राकृतिक इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने से किसी भी संक्रमण से प्राकृतिक तौर पर लड़ना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी तरफ़ ओमिक्रॉन स्वरूप के तेज़ी से फैलने के कारण बूस्टर डोज़ की माँग बढ़ गयी है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक