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हरियाणा चुनाव से पहले विनेश, बजरंग राजनीति के दंगल में; कांग्रेस से जुड़े

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। दोनों पहलवान शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। दोनों पिछले साल भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे। चुनाव से पहले दोनों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के लिए बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त के तौर पर देखा जा रहा है।

कांग्रेस ने एक कार्यक्रम में दोनों पहलवानों को पार्टी में शामिल किया और कहा कि पार्टी दोनों का स्वागत करती है।

बुरे समय में पता चलता है- अपना कौन: विनेश

पार्टी में शामिल होने के बाद विनेश फोगाट ने कहा, 'मैं कांग्रेस का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं, क्योंकि बुरे समय में ही पता चलता है- अपना कौन है। जब हमें सड़क पर घसीटा जा रहा था, तो बीजेपी को छोड़कर आप सभी हमारे साथ थे। आप हमारे दर्द और आंसुओं को समझ पा रहे थे। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसी विचारधारा से जुड़ी हूं, जो महिलाओं पर हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़ी है और सड़क से संसद तक उनके हक की लड़ाई लड़ने को तैयार है।'

बजरंग पुनिया ने कहा, 'मैं सभी का धन्यवाद देता हूं। हम अन्याय के खिलाफ साथ मिलकर लड़ेंगे और हर संघर्ष में कांग्रेस के साथ खड़े रहेंगे। हमने महिला पहलवानों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ बीजेपी की महिला सांसदों को पत्र लिखा था, लेकिन कोई हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। लेकिन कांग्रेस हर मोड़ पर हमारे साथ खड़ी रही।'

पार्टी में शामिल होने से पहले विनेश और बजरंग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात की। इससे पहले दोनों ने बुधवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हुई राहुल के साथ मुलाक़ात ने उनके राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की चर्चाओं को और तेज कर दिया था।

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खड़गे ने एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया, जिसमें लिखा था, 'हमारे प्रतिभाशाली चैंपियन विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया से 10 राजाजी मार्ग पर मुलाकात, जिन्होंने दुनिया में भारत को गौरवान्वित किया है। हमें आप दोनों पर गर्व है।'

विनेश हाल ही में तब चर्चा में आई थीं जब वह पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किग्रा स्पर्धा के फाइनल में पहुंची थीं, लेकिन 50 किग्रा भार सीमा का उल्लंघन करने के कारण फाइनल से पहले ही उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अयोग्य घोषित किए जाने के एक दिन बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स से संयुक्त रजत पदक देने की अपील भी की थी।

बजरंग पुनिया और विनेश फोगट उन पहलवानों में शामिल थे जिन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। बीजेपी नेता पर कई युवा जूनियर पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है।

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क्या होगा असर?

दोनों पहलवान जाट समुदाय से हैं। हरियाणा के किसानों में बड़ी संख्या जाटों की है और यह समुदाय न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग को लेकर भाजपा के खिलाफ खड़ा है। फोगाट और पुनिया को पार्टी में शामिल करके पार्टी जाट वोटों को मजबूत करने के अलावा महिलाओं, खिलाड़ियों और युवाओं के बीच अपना समर्थन आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

इससे पहले बीजेपी ने कई खिलाड़ियों को पार्ी में शामिल किया था। बीजेपी ने पहलवान योगेश्वर दत्त और बबीता फोगाट को 2019 के विधानसभा चुनावों में मैदान में उतारा था। तब दोनोंने बड़ौदा और चरखी दादरी सीटों से हार गए। बताया जा रहा है कि योगेश्वर दत्त अब गोहाना सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं। खिलाड़ियों में से केवल पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान संदीप सिंह ही पिहोवा से जीत का स्वाद चख पाए थे। बाद में उन्हें मनोहर लाल खट्टर मंत्रिमंडल में खेल मंत्री के रूप में शामिल किया गया, लेकिन उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें पद से हटा दिया। 

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अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दक्षिण दिल्ली से तीसरे स्थान पर रहे थे। वह बाद में भाजपा में शामिल हो गए। कहा जा रहा है कि वह हरियाणा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।

हरियाणा चुनाव में खिलाड़ियों का असर काफी होने की संभावना है। इसको राजनीतिक बयानों से भी समझा जा सकता है। राहुल गांधी और विनेश-बजरंग के बीच मुलाक़ात के बाद मनोहर लाल खट्टर ने एएनआई से कहा, 'मुझे लगता है कि हमारे एथलीट विरोध के दौरान राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए हैं। जो तब शुरू हुआ था वह अब अपने चरम पर पहुंच रहा है। पहलवानों का विरोध राजनीति से प्रेरित था। ये लोग कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं। इसका मतलब है कि कोई सांठगांठ है। अगर यह तब स्पष्ट नहीं था, तो अब यह बिल्कुल स्पष्ट है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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