सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा जिस तरह से बीजेपी ने उठाया और उसका लाभ लिया, वैसी मिसाल शायद ही कहीं मिले! बीजेपी ने तब न जाने क्या-क्या आरोप लगाए थे। लेकिन इसी बीजेपी की हरियाणा सरकार को अब रॉबर्ट वाड्रा के ख़िलाफ़ कथित तौर पर कुछ भी ग़लत नहीं मिला है।
11 साल पहले रॉबर्ट वाड्रा की मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के बीच जमीन सौदे का मामला था। इस सौदे को संदिग्ध बताकर वाड्रा पर कई आरोप लगाए गए। लेकिन अब लगभग एक दशक बाद मामला पलट गा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुासर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भाजपा-जजपा सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया है कि 'रॉबर्ट वाड्रा की मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को किए गए भूमि के हस्तांतरण में किसी भी नियम/नियमों का उल्लंघन नहीं पाया गया है।' बता दें कि इस रियल एस्टेट सौदे ने कांग्रेस को ग्रहण लगा दिया था और हरियाणा में भाजपा के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बीजेपी ने चुनाव दर चुनाव रॉबर्ट वाड्रा के मुद्दे का खूब लाभ उठाया। 2014 में अप्रैल महीने में भाजपा मुख्यालय में रविशंकर प्रसाद, जेपी नड्डा और सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उसमें 'दामादश्री' नाम की एक आठ मिनट की फ़िल्म दिखाई गई थी और अंग्रेज़ी में एक बुकलेट भी जारी की गई थी। इसमें वाड्रा को घोटालों का बादशाह, देश का सौदागर और किसानों का अपराधी जैसे शब्दों से संबोधित किया गया था।
तब प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया था कि वाड्रा को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का संरक्षण मिला हुआ है। रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर वाड्रा के 'महल को खड़ा करने में सहयोग' देने का आरोप लगाया था।
बीजेपी ने कांग्रेस की तत्कालीन हरियाणा और कांग्रेस सरकारों पर भी आरोप लगाया था। उसने आरोप लगाया था कि रॉबर्ट वाड्रा को और रिएल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ को हरियाणा सरकार ने गुड़गांव में फ़ायदा पहुंचाया।
बीजेपी ने तत्कालीन राजस्थान की गहलोत सरकार पर भी वाड्रा को फ़ायदा पहुँचाने का आरोप लगाया था। लगभग हर चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा को मुद्दा बनाया गया। हालाँकि चुनाव बाद मामला शांत हो जाता था, लेकिन चुनाव आते ही यह मुद्दा जोर शोर से उठाया जाता था। 2014 में भाजपा पहली बार हरियाणा में सत्ता में आई थी। तब उसने राज्य विधानसभा की 90 में से 47 सीटों पर जीत हासिल की थी।
लेकिन अब लगभग एक दशक बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भाजपा-जजपा सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया है कि "रॉबर्ट वाड्रा की मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को भूमि के हस्तांतरण में किसी भी नियम/नियमों का उल्लंघन नहीं पाया गया है।'
2018 में हुड्डा, वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनियों डीएलएफ और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
वाड्रा ने स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को 2007 में 1 लाख रुपये की पूंजी के साथ लॉन्च किया था। फरवरी 2008 में स्काईलाइट ने गुड़गांव के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में लगभग 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। प्लॉट को अगले दिन स्काईलाइट के पक्ष में म्यूट कर दिया गया था, और खरीद के 24 घंटे के भीतर भूमि का टाइटल वाड्रा को स्थानांतरित कर दिया गया था। इस प्रक्रिया में आमतौर पर कम से कम तीन महीने लगते हैं। इसको लेकर वाड्रा पर सवाल उठाए जाते रहे।
एक महीने बाद हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को अधिकांश भूमि पर एक आवास परियोजना विकसित करने की अनुमति दी। इससे जमीन की कीमतों में तत्काल वृद्धि हुई। जून 2008 में डीएलएफ 58 करोड़ रुपये में प्लॉट खरीदने के लिए तैयार हो गया। इसका मतलब था कि कुछ ही महीनों में वाड्रा की संपत्ति का मूल्य 700% के करीब बढ़ गया था। वाड्रा को किश्तों में भुगतान किया गया था, और यह 2012 में ही हो पाया था कि भूमि पर कॉलोनी लाइसेंस को स्थानांतरित करने वाले म्यूटेशन को डीएलएफ को स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद से इस पर लंबा विवाद चला।
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