एलोपैथिक को दिवालिया साइंस बताने वाले योग गुरू रामदेव की दवा कोरोनिल को लेकर काफ़ी विवाद हो चुका है। लेकिन हरियाणा सरकार कोरोना वायरस से संक्रमित 1 लाख मरीजों को इसके किट बांटने जा रही है। हरियाणा सरकार का कहना है कि कोरोनिल बांटने का आधा खर्च पतंजलि और आधा वह ख़ुद उठा रही है।
सवाल यह है कि अगर कोरोना मरीजों ने डॉक्टर्स के इलाज के बजाए कोरोनिल को लेना शुरू किया और अगर उनकी जान को ख़तरा पैदा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
गांवों में फैला संक्रमण
हरियाणा के गांवों में कोरोना संक्रमण का कहर इन दिनों बहुत तेज़ है। यहां के रोहतक, हिसार, भिवानी जिले में बीते कई दिनों में खांसी-बुखार से परेशान लोगों की मौत हो चुकी है। रोहतक के टिटौली, हिसार के सिसाय, खरड़, अलीपुर, भाटला सहित पानीपत के डिडवाड़ी सहित कई गांव ऐसे हैं, जहां बीते दिनों में लगातार लोगों की मौत हुई है।
हरियाणा सरकार का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते राज्य के कई जिलों में जो बैठकें हो रही हैं, उनके कारण कोरोना संक्रमण के फैलने का ख़तरा है। लेकिन ऐसे वक़्त में जब लोग बीमार हों, उनमें कोरोना वायरस से संक्रमित होने जैसे लक्षण दिखाई दें तो टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पर जोर दिया जाना चाहिए लेकिन यहां तो सरकार कोरोनिल के किट बांट रही है जबकि ऐसा वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध नहीं हुआ है कि कोरोनिल के खाने से कोरोना संक्रमित किसी शख़्स की जान बच सकती है।
रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने इस साल फरवरी में कोरोनिल दवा को फिर से लांच करते हुए इससे कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज का दावा किया था। लेकिन इसे लेकर डॉक्टर्स की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एतराज जताया था।
कोरोनिल को लेकर रामदेव उस वक़्त विवादों में घिर गए थे जब उन्होंने कोरोनिल पर एक रिसर्च पेपर जारी किया था और इसमें इस दवा से इलाज होने का दावा किया गया था लेकिन उन्हें इस दवा के लिए स्वीकृति इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में मिली थी।
रामदेव ने कहा था कि भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ भी उनके दावों को लेकर सहमत है और वे इस दवा को दुनिया के 150 से ज़्यादा देशों में बेच सकते हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि उसने दक्षिण-एशिया में कोरोना की किसी पारंपरिक दवा को प्रमाणित नहीं किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा था कि रामदेव ने देश से झूठ बोला है और डॉ. हर्षवर्धन से सवाल पूछा था कि वह आख़िर किस तरह एक झूठे उत्पाद को देश के सामने प्रमोट कर सकते हैं।
बयान पर घिर गए रामदेव
रामदेव इन दिनों एलोपैथिक दवाओं को लेकर दिए गए एक बयान के कारण डॉक्टर्स और आम लोगों के निशाने पर हैं। मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले रामदेव का एक वीडियो कुछ दिनों पहले वायरल हुआ जिसमें वह कह रहे हैं कि कोरोना के इलाज में एलोपैथिक दवाएं लेने के कारण लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। उनके इस बयान पर डॉक्टर्स ने उन्हें ख़ूब खरी-खोटी सुनाई और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने रामदेव को आड़े हाथों लिया है।
बवाल बढ़ने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव से इस बयान को वापस लेने को कहा। डॉक्टर हर्षवर्धन ने ख़ुद भी इस बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। इसके बाद रामदेव को अपना बयान वापस लेना पड़ा था।
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