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चुनाव से ऐन पहले और फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा क्यों?

जल्द ही होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक कई घोषणाएँ क्यों की जा रही हैं? क्या जनता की नाराज़गी को दूर करने की कोशिश के रूप में लुभावने वादे हैं?हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनावों के मुहाने पर विभिन्न तरह की घोषणाओं के ज़रिये भाजपा की नैया पार लगाने के प्रयासों में हैं।4 अगस्त को कुरुक्षेत्र में चुनावों के लिए भाजपा की ओर से आयोजित एक जनसभा में मुख्यमंत्री ने बड़े जोर शोर से किसानों के लिए तीन घोषणाएँ कीं। सिंचाई के लिए नहर के पानी पर बकाया आबयाना (पानी पर किसानों द्वारा एक नियमित देय राशि) 133 करोड़ को सरकार द्वारा माफ़ किया गया। दूसरी घोषणा प्राकृतिक आपदा से फसलों के खराबे का किसानों को दिए जाने वाला मुआवजा, जो कि 2023 से पहले के समय से लंबित हैं, बकाया भुगतान एक सप्ताह में करने की है। तीसरी बड़ी घोषणा बकौल मुख्यमंत्री 9 अन्य फ़सलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की है। चौथी घोषणा किसानों को राहत देने के लिए 31 दिसंबर 2023 तक आवेदन किये गए ट्यूबवेल के कनेक्शन दिए जाने को लेकर की। साथ ही खेतों में बिजली सप्लाई के लिए जो ट्रांसफॉर्मर लगे हैं उनमें खराबी आने पर अब किसानों से बिना शुल्क लिए सरकार द्वारा बदला जायेगा।  

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मुख्यमंत्री द्वारा अब की गई आबयाना माफ करने की घोषणा पूर्व में मनोहर लाल द्वारा की गयी घोषणा ही फिर से दोहराई गई है। लोकसभा चुनावों से पहले फरवरी 2024 में तब के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपनी उपलब्धि को गिनाते हुए एलान किया था कि हरियाणा की विधानसभा सत्र में अंग्रेजों के जमाने का क़ानून बदल दिया गया है और 4299 गांवों के किसानों का 140 करोड़ बकाया आबयाना माफ़ कर दिया गया है। लोक सभा चुनावों के दौरान किसानों में इस घोषणा का कोई असर दिखाई नहीं दिया।नायब सिंह सैनी ने बड़े जोश के साथ इन घोषणाओं को युगांतरकारी बताया। अपने सम्बोधन में कहा कि 'इस पावन मौके पर हमने हरियाणा के किसानों के लिए कई युगांतरकारी घोषणाएं की हैं जिनमें सबसे प्रमुख घोषणा ये है कि अब हरियाणा के किसान की हर फ़सल को सरकार एमएसपी पर खरीदेगी। किसान चाहे कोई भी फसल उगाते हों उनको एमएसपी का वास्तविक मूल्य मिलेगा।' नायब सिंह सैनी ने कहा कि अब तक 14 फसलें सरकार एमएसपी पर खरीदती रही है, लेकिन अब से और 9 नई फ़सलें भी यानी कुल 23 फसलें हरियाणा सरकार एमएसपी पर खरीदेगी। इन 23 फसलों को केंद्र सरकार भी एमएसपी पर खरीदती है। 
लेकिन अगर तथ्यों को देखा जाये तो स्पष्ट होता है कि किसानों का संघर्ष एमएसपी का केवल निर्धारण करना ही काफी नहीं बल्कि तुलनात्मक महंगाई के अनुरूप ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किये जाने को लेकर है। इसके अलावा किसान की फसलों के समर्थन मूल्य को कानूनी संरक्षण मिले ताकि पूरी फसल लाभकारी  मूल्य पर ही खरीदी जाये, भले ही वो सरकार अपने अन्न भंडारण की  आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खरीदे या निजी व्यापारी अपने कारोबारी ज़रूरतों के लिए खरीदे। किसानों की मुख्य मांग एमएसपी की कानूनी गारंटी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलें अभी भी सरकार खरीदती है लेकिन किसान की कुल फसल का उतना भाग जो केंद्रीय सरकार के अन्न भंडारण की सीमा के अंतर्गत होता है। 
किसनों की शेष उपज को उन्हें खुले बाजार में बेचना पड़ता है जहाँ अक्सर दाम निर्धारित समर्थन मूल्यों से कम होते हैं और किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
हरियाणा में प्रति वर्ष दो बार फसलें मंडियों में आती हैं। खरीफ और रबी। खरीफ की मुख्य फसलें जून से नवंबर के दरम्यान धान, ज्वार, बाजरा, कपास, गन्ना, मूंगफली, तिल, जूट आदि आती हैं। हरियाणा में खरीफ की फसल लगभग 19.5 लाख एकड़ में उत्पादन होती है। कुल फसल लगभग 54 से 58 लाख टन का उत्पादन होता है। धान हरियाणा के पश्चिमी क्षेत्र सिरसा, हिसार, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल में होता है जबकि बाजरा दक्षिणी हरियाणा के भिवानी, महेंद्रगढ़, नारनौल, दादरी,  झज्जर क्षेत्र में होता है। कपास हिसार, फतेहाबाद, सिरसा में सबसे अधिक होती है। ज्वार, गन्ना पूर्वी हरियाणा सोनीपत, गोहाना, पानीपत में ज़्यदातर उपजता है। रबी फसल में गेहूं, सरसों, जौ, बाजरा, चना, सूरजमुखी आदि फसलें आती हैं। रबी की फसल में गेहूं पूरे प्रदेश में ही उपजाया जाता है। चना, सरसों की फ़सल भी विस्तृत क्षेत्र में होती है।
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जो घोषणा एमएसपी को लेकर की गयी है उसमें अभी हरियाणा सरकार की ओर से स्पष्ट नहीं किया है कि क्या यह खरीद हरियाणा सरकार अपने खजाने से प्रादेशिक स्तर पर करेगी या केन्द्रीय सरकार के लिए करेगी या केंद्र सरकार सीधे तौर पर करेगी। अगर हरियाणा सरकार अपने खजाने से यह खरीद करेगी तो क्या उसके लिए पर्याप्त बजट आबंटन किया गया है। क्या राज्य सरकार उपज को पूरा खरीद करेगी या कुछ भाग। यह भी साफ़ नहीं है कि क्या राज्य सरकार ने कोई अनुबंध केंद्र सरकार से किया है जिसके तहत सभी फसलों को  एमएसपी पर पूरी मात्रा में खरीदा जायेगा और किसानों को खुले बाजार में कम दामों पर अपनी फसल बेचने को बाध्य नहीं होना पड़ेगा।किसानों को 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' की योजना के तहत अपनी जमीन की कुल उपज की जानकारी देना राज्य सरकार को आवश्यक किया गया है ताकि उसको योजनाओं का लाभ मिल सके, लेकिन इस पद्धति से किसानों को काफी असुविधा का समाना करना पड़ता है। अभी तक किसानों की पूरी उपज की खरीद की गारंटी की कोई बात स्पष्ट नहीं हो पायी है। विपक्षी राजनीतिक दलों- कांग्रेस, लोकदल जजपा की भी कोई ठोस प्रतिक्रिया इस घोषणा पर नहीं आयी अभी तक। हरियाणा सरकार द्वारा घोषित अब 23 फ़सलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने पर किसान को किस तरह लाभ होगा इसका आकलन करने में किसान संगठन गहन पड़ताल करने में लगे हैं।
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अब ट्यूबवेल पर बिजली की मोटर की श्रेणी में भी सुधार किया गया है जिसके अंतर्गत अब किसान तीन सितारा गुणवत्ता की मोटर का उपयोग कर सकेंगे। पहले सरकार द्वारा निर्धारित केवल 5 सितारा मोटर का उपयोग करने की ही अनुमति थी जो कि सरकार द्वारा प्रमाणित की गयी कंपनी से ही खरीदनी ज़रूरी थी। अब सरकार ने प्रमाणित कंपनियों की संख्या 10 तक बढ़ा दी है। अगर देखा जाए तो सरकार ने अपनी नीति में सुधार किया जो पिछले दस साल से चली आ रही थी जिसमें किसानों को केवल सीमित कंपनी की मोटर खरीदनी पड़ती थी।पिछले दस सालों में भाजपा द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के किये गए प्रचार की हकीकत किसानों द्वारा किये जा रहे आंदोलन से साफ है, क्योंकि अभी भी किसान बार-बार की गयी घोषणाओं और दावों के बावजूद लगातार संघर्षरत हैं। नीति और कानून के संरक्षण के अंतर को किसान बखूबी समझता है। चुनावों से पहले की गई घोषणाओं की गंभीरता कितनी होती है, मतदाता भी समझते हैं।
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जगदीप सिंधु
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