किसान आंदोलन को लेकर जितना दबाव बीजेपी पर है, उतना ही उसके सहयोगी दलों पर। जैसे-जैसे किसान आंदोलन आगे बढ़ता गया, बीजेपी के सहयोगी उसे छोड़ते गए, जो बचे हैं, वे जबरदस्त दबाव में हैं। बात हो रही है हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की।
जेजेपी के भीतर कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों के समर्थन में न खड़े होने को लेकर जबरदस्त उथल-पुथल है और इस बीच करनाल जिले के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह गौराया ने किसानों के समर्थन में पार्टी को अलविदा कह दिया है।
पीटीआई के मुताबिक़, गौराया का कहना है कि उन्होंने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से कहा था कि वे कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं। गौराया ने कहा कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा धरना जन आंदोलन बन चुका है लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं है।
गौराया ने कहा कि वे पहले किसान हैं और इसलिए उन्होंने फ़ैसला लिया कि दो महीने से ज़्यादा वक़्त से धरना दे रहे किसानों के समर्थन में पद और पार्टी से इस्तीफ़ा देंगे। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को मानने के बजाए सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। किसानों द्वारा कृषि क़ानूनों का पुरजोर विरोध करने के कारण जेजेपी तगड़े दबाव में है।
किसानों के दबाव के कारण ही शिरोमणि अकाली दल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी एनडीए से बाहर निकल चुकी हैं। लेकिन जेजेपी इस मामले में फ़ैसला नहीं ले पा रही है।
निशाने पर हैं दुष्यंत
सोशल मीडिया पर किसान और युवा लगातार दुष्यंत चौटाला पर सियासी हमले कर रहे हैं। किसानों और युवाओं का कहना है कि दुष्यंत ने बीजेपी के विरोध और किसानों की हिमायत करने के वादे के कारण पहले ही चुनाव में बड़ी सफ़लता हासिल की थी। लेकिन अब वह कुर्सी मोह के कारण किसानों का साथ नहीं देना चाहते।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
जेजेपी के सामने मुश्किल यह भी है कि उसके 10 विधायकों में से ज़्यादातर किसानों के समर्थन में हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि किसानों के साथ नहीं खड़े होने से उन्हें सियासी नुक़सान होगा। ऐसे में दुष्यंत चौटाला कब तक पार्टी के भीतर उठ रही आवाज़ों को रोक पाएंगे, ये एक बड़ा सवाल है।
बीजेपी नेताओं ने छोड़ी पार्टी
हाल ही में हरियाणा बीजेपी के नेता और पूर्व संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कृषि क़ानूनों के विरोध में पार्टी छोड़ दी थी। इसके अलावा फतेहाबाद से बीजेपी के पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया पार्टी छोड़ चुके हैं। दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
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