हरियाणा कांग्रेस की पूर्व नेता किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी अपने समर्थकों के साथ बुधवार को नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। दोनों ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। परिवारवाद के खिलाफ खुद को बताने वाली भाजपा में किरण चौधरी इस उम्मीद के साथ आई हैं कि भाजपा उन्हें और उनकी बेटी को टिकट देगी। क्योंकि कांग्रेस ने बेटी को टिकट देने से मना कर दिया था।
Former MP Smt. Shruti Choudhry and Haryana MLA Smt. Kiran Choudhry join the BJP at party headquarters in New Delhi. https://t.co/3QNKd32rAO
— BJP (@BJP4India) June 19, 2024
किरण ने कहा कि “भाजपा में शामिल होने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि प्रधानमंत्री, जिन्होंने 2047 तक एक विकसित भारत का संकल्प लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत दुनिया में चमकेगा। प्रधानमंत्री जी के जनकल्याणकारी कार्यों से दिल्ली में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। मैंने खट्टर जी के साथ बहुत काम किया है। हमारे बीच बहुत कड़वाहट हुआ करती थी। लेकिन जिस तरह से उन्होंने काम किया वह मेरी प्रेरणा का स्रोत है।”
हरियाणा में राजनीतिक दांवपेंचः किरण चौधरी पांचवी बार कांग्रेस टिकट पर भिवानी के तोशाम विधानसभा सीट से चुनी गई हैं। उनकी बेटी श्रुति चौधरी भी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस सांसद रह चुकी हैं। किरण चौधरी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से श्रुति चौधरी के लिए टिकट मांगा था। लेकिन टिकट मिला नहीं। लेकिन वो हरियाणा में कांग्रेस के टिकटों वितरण से नाराज थीं। इस सीट से कांग्रेस ने राव दान सिंह को टिकट दिया था लेकिन उन्हें भाजपा के चौधरी धर्मवीर ने हरा दिया। किसी समय कांग्रेस में बंसीलाल परिवार का बोलबाला था। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में कमान आने के बाद स्थितियां बदल गईं। हरियाणा में कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान हैं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी पर पकड़ हुड्डा की ही है।
क्या बोले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि "उनके (किरण) जाने से कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है...। उन्होंने (किरण) कहा कि हरियाणा में कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है इसलिए वह वहां जा रही हैं जहां उन्हें लगता है कि उनका भविष्य सुरक्षित है...उन्होंने इसलिए छोड़ा क्योंकि उनकी बेटी को टिकट नहीं दिया गया... इसका विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है...।"हरियाणा में अल्पमत में भाजपा सरकारः राज्य में भाजपा सरकार अल्प मत में चल रही है। चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए कांग्रेस इस सरकार को गिरा भी नहीं रही है। 7 मई को तीन निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से हरियाणा में बीजेपी सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है।
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पास 40 विधायकों की ताकत है। इसे सात में से छह निर्दलीय विधायकों और हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन प्राप्त था। इसका मतलब यह है कि हरियाणा विधानसभा में, भाजपा को सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, जिससे उसका आंकड़ा 47 हो गया। यानी बहुमत से सिर्फ दो अधिक।
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