एक ओर हिंदू संगठन गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज़ पढ़े जाने का लगातार विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सिखों ने मुसलमानों के लिए गुरुद्वारों के दरवाज़े खोल दिए हैं।
हिंदू संगठनों के नेताओं को उन 37 जगहों को लेकर भी एतराज है, जिनका चयन मुसलिम समुदाय, हिंदू समुदाय और प्रशासन के अफ़सरों के बीच लंबी बातचीत के बाद नमाज़ पढ़ने के लिए किया गया था। उसके बाद से मुसलिम समुदाय के लोग इन जगहों पर नमाज़ अदा करते आ रहे थे।
लेकिन बीते कुछ हफ़्तों से एक बार फिर हिंदू संगठनों के लोगों ने सेक्टर 12-A और सेक्टर 47 में नमाज़ पढ़ने वाले लोगों का विरोध शुरू कर दिया।
कई आरडब्ल्यूए भी इन लोगों के समर्थन में आ गईं और प्रशासन ने 37 जगहों में से 8 जगहों पर दी गई अनुमति को वापस ले लिया।
लेकिन गुड़गांव में 5 गुरुद्वारों की एक कमेटी ने मुसलिमों से कहा है कि वे उनके मज़हबी स्थल में आकर नमाज़ पढ़ सकते हैं। ये गुरुद्वारे सदर बाज़ार, सेक्टर 39, सेक्टर 46, मॉडल टाउन और जैकबपुरा में स्थित हैं।
गुड़गांव की सब्जी मंडी में स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा के अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिद्धू ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “सभी मज़हब के लोग गुरुद्वारे में आकर अपनी प्रार्थना कर सकते हैं। अगर मुसलिम समुदाय के लोगों को उन्हें दी गई जगहों पर नमाज़ पढ़ने में दिक्क़त पेश आ रही है तो वे गुरुद्वारों में आकर नमाज़ अदा कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से किसी तरह की अनुमति की ज़रूरत होगी तो वह भी ली जाएगी।
पहल का किया स्वागत
मुसलिम समुदाय के लोगों ने सिख समुदाय की इस पहल का स्वागत किया है। गुड़गांव में जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने इसे उदार क़दम बताया है और कहा है कि इस शुक्रवार को सेक्टर 39 और सदर बाज़ार के गुरुद्वारों में नमाज़ अदा की जाएगी। इससे पहले गुड़गांव के सेक्टर 12 में रहने वाले अक्षय यादव नाम के युवक ने अपने खाली पड़े घर को नमाज़ पढ़ने के लिए दे दिया था और बीते शुक्रवार को यहां 15 लोगों ने नमाज़ पढ़ी थी।
मुसलिम समुदाय के जिम्मेदार लोगों ने इसे भाईचारे की असली मिसाल बताया है।
गुड़गांव के जिला प्रशासन का कहना है कि नमाज़ के लिए किसी जगह के चयन का फ़ैसला स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर ही किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वहां पर किसी तरह का कोई विरोध नहीं हो।
गुड़गांव में हिंदू संगठनों के नेता बीते कई हफ़्तों से सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़े जाने का विरोध कर रहे हैं और इनके नेताओं की बयानबाज़ी के कारण इलाक़े का माहौल ख़राब हो रहा है।
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