बीजेपी भले ही सरकार बनाने की बात कह रही हो, लेकिन जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने कहा है कि हमने यह निर्णय लिया है कि हम उनके साथ खड़े होंगे जो मज़बूत और स्थिर हों। उन्होंने साफ़ किया कि हम किसी को भी समर्थन दे सकते हैं, हमारे लिए कोई अछूत नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ कहा कि किसी भी दल से अभी तक उनकी बात नहीं हुई है। बता दें कि मतगणना के दौरान ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस और जेजेपी मिलकर सरकार बनाने का दावा कर सकती हैं, लेकिन इन दोनों दलों की सीटें 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए ज़रूरी 46 के आँकड़े से दूर रह गईं। कांग्रेस को 31 और जेजेपी को 10 सीटों पर जीत मिली है। नतीजे आने के बाद बीजेपी निर्दलीयों के दम पर सरकार बनाने की बात करने लगी। इसके बाद से ही यह तय नहीं है कि जेजेपी किस दल के साथ गठबंधन करेगी।
माना जा रहा था कि जेजेपी की शुक्रवार की बैठक के बाद दुष्यंत इस मामले में अपनी स्थिति साफ़ कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बैठक में दुष्यंत चौटाला को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। बीजेपी या कांग्रेस को समर्थन देने के सवाल पर दुष्यंत ने कहा कि अभी तक हमने इस मुद्दे पर किसी से बात नहीं की है क्योंकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी इस एजेंडे पर स्पष्ट नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि हमें इसके लिए अधिकृत किया गया है कि संबंधित लोगों से बात करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ घंटों में या कुछ दिनों में इस पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
इसके साथ ही दुष्यंत ने कहा कि पार्टी उस दल को समर्थन देगी जो हमारे न्यूनतम साझा कार्यक्रम से सहमत होगा। उन्होंने कहा है कि जो पार्टी राज्य में नौकरियों में 75 फ़ीसदी आरक्षण हरियाणा के लोगों के लिए देने और वृद्धावस्था पेंशन के चौधरी देवी लाल के विचार से सहमत होगी हम उसी पार्टी को समर्थन देंगे।
इधर कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा है कि दुष्यंत जी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कुछ मुद्दे उठाए हैं। हुड्डा ने आगे कहा कि जहाँ तक न्यूनतम साझा कार्यक्रम की बात है, इसका ज़िक्र हमारे घोषणा पत्र में पहले से ही है चाहे वह वृद्धावस्था पेंशन की बात हो या हरियाणा के लोगों के लिए 75 फ़ीसदी आरक्षण की बात। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनका कुछ और सुझाव है तो हम इस पर बात करने के लिए तैयार हैं और अब यह उन पर निर्भर करता है।
बता दें कि हरियाणा में सरकार बनाने के लिए राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दिल्ली भी गए हैं। खट्टर ने पत्रकारों से कहा कि मैं आशावादी हूँ और हम सरकार बनाने जा रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने इसकी घोषणा नहीं की कि वह ऐसा कब करेंगे। त्रिशंकु विधानसभा होने की वजह से बीजेपी को सरकार बनाने के दावे से लेकर शपथ ग्रहण कराने तक की जल्दी है। बहुमत के आँकड़े से छह सीटें कम रहने और 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी रहने वाली बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
नब्बे विधानसभा सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की ज़रूरत है, लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी को इस बार सिर्फ़ 40 सीटें ही मिली हैं। लिहाज़ा, उसे दोबारा सरकार बनाने के लिए 6 और विधायकों की ज़रूरत है।
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