गुलाम नबी आजाद के साथ मुलाकात को लेकर उठे सवालों के बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि वह और आजाद लंबे वक्त तक एक ही पार्टी में रह चुके हैं। बताना होगा कि हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने हाईकमान से शिकायत की है कि हुड्डा के द्वारा आजाद से मुलाकात करने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के गुटों के बीच सियासी खींचतान जग जाहिर है।
बता दें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की थी और इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी रहे थे।
हुड्डा के साथ ही आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल हैं और पार्टी के कामकाज को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। हालांकि हुड्डा के साथ ही आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण ने तब इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया था।
इस गुट के नेताओं ने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। पत्र में कांग्रेस के कामकाज में बदलाव लाने सहित कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने की मांग की गई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने और कुछ नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान से कुछ मांग रखी थी और वह मांग मान ली गई है। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव हो रहे हैं, उसके बाद भी गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।
हरियाणा के दिग्गज नेता हुड्डा ने कहा कि उन्होंने मुलाकात में आजाद से कहा कि ऐसी क्या बात हुई कि आपने पार्टी छोड़ दी। हुड्डा ने कहा कि बहुत सारे लोग पार्टी में शामिल होते हैं और पार्टी छोड़ देते हैं इसलिए कटुता की बात नहीं होनी चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा कांग्रेस में सबसे ताक़तवर नेता हैं और 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन किया था।
कुमारी सैलजा के द्वारा कांग्रेस हाईकमान से शिकायत किए जाने के सवाल पर हुड्डा ने कहा कि कौन क्या कह रहा है, इस पर वह बहुत कुछ नहीं कहना चाहते क्योंकि कुछ लोग निराशा में और कुछ लोग किसी स्वार्थ की वजह से कुछ भी कह देते हैं।
हुड्डा ने कहा कि जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और राजीव गांधी के निधन के बाद जब सोनिया गांधी अमेठी गई थीं तब वह गांधी परिवार के साथ खड़े थे और आज भी गांधी परिवार के साथ खड़े हैं।
हुड्डा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने एकदम पार्टी छोड़ दी और किसी से कोई बातचीत तक नहीं की।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के बाद पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमले किए थे और कहा था कि उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। आजाद जल्द ही जम्मू-कश्मीर में अपने नए राजनीतिक दल का गठन करने वाले हैं।
‘हाईकमान के सामने रखेंगे मामला’
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि उन्हें हरियाणा कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के द्वारा गुलाम नबी आजाद के साथ मुलाकात करने के बारे में शिकायत मिली है। बंसल ने कहा कि वह इस मामले को कांग्रेस हाईकमान के सामने रखेंगे।
क्या कहा था सैलजा ने?
कुमारी सैलजा ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि उन्हें इस बात से बेहद धक्का लगा कि कांग्रेस हाईकमान के द्वारा हरियाणा में पार्टी की बागडोर सौंपने के बाद भी हुड्डा गुलाम नबी आजाद से मिले। सैलजा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने हमारे नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ न सिर्फ व्यक्तिगत टिप्पणियां की बल्कि उन्होंने एक राजनीतिक दल का गठन करने का भी एलान किया।
यूपीए सरकार के दौरान मंत्री रहीं कुमारी सैलजा ने कहा कि हुड्डा के द्वारा गुलाम नबी आजाद से मुलाकात करने के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है और यह किसी भी निष्ठावान कांग्रेसी के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है।
हुड्डा के करीबी को बनाया था अध्यक्ष
कांग्रेस हाईकमान ने इस साल अप्रैल में कुमारी सैलजा को हटाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। इस तरह हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा का एकछत्र राज्य स्थापित हो गया था क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष उनके करीबी हैं जबकि नेता प्रतिपक्ष का पद हुड्डा के पास है और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा के सांसद हैं।
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