राहुल गांधी को आज तब बड़ा झटका लगा जब उन्हें 2019 में उनके ख़िलाफ़ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई गई। हालाँकि उनको तुरंत ही जमानत दे दी गई और अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने के लिए सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया।
राहुल ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था, 'क्यों सभी चोरों का समान सरनेम मोदी ही होता है? चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो या नरेंद्र मोदी? सारे चोरों के नाम में मोदी क्यों जुड़ा हुआ है।' सवाल है कि राहुल के इस बयान में आख़िर किस बात को लेकर दोषी ठहराया?
सूरत की अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराने के लिए मुख्य तौर पर तीन कारण गिनाए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, 'हालाँकि अभियुक्त को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चेतावनी और सलाह दी गई थी, आचरण में किसी भी बदलाव का कोई सबूत नहीं है।'
कोर्ट ने दोषी ठहराने के पीछे एक कारण यह भी बताया है कि 'आरोपी एक सांसद हैं जो एक सांसद के रूप में लोगों को संबोधित करते हैं और समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करते हैं, इसलिए इस अपराध का प्रभाव इस मामले में बहुत व्यापक है।"
रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि 'उन्हें कम सजा देने से एक बुरी मिसाल कायम होगी और समाज में एक नकारात्मक संदेश जाएगा।'
इस मामले में सुनवाई के दौरान राहुल इससे पहले तीन बार सूरत की कोर्ट में पेश हो चुके हैं। अंतिम बार अक्टूबर, 2021 में उन्होंने कोर्ट में पेश होकर खुद को निर्दोष बताया था। इस मामले में राहुल कह चुके हैं कि जब उन्होंने मोदी सरनेम वाला बयान दिया था, तब किसी के प्रति उनके मन में दुर्भावना नहीं थी।
अदालत में इस मामले को उठाने वाले पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल ने उनके पूरे समाज को चोर कहा था और इससे मोदी समाज को ठेस पहुँची। हालाँकि राहुल के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि राहुल के ज्यादातर भाषणों में पीएम मोदी को निशाना बनाया गया था, पूर्णेश मोदी को नहीं, इसलिए उनकी शिकायत सही नहीं है।
बता दें कि अब कोर्ट द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब राहुल गांधी सांसद रह पाएंगे? राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर फैसला किया जाना है, वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (1) में सूचीबद्ध है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की इस धारा में कुछ विशिष्ट अपराधों को ही शामिल किया गया जिसके तहत किसी सदस्य की सदस्यता रद्द की जा सकती है। इन अपराधों में दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, रिश्वतखोरी और चुनाव में अनुचित प्रभाव या व्यक्तित्व को शामिल किया गया है, मानहानि से जुड़े मामलों को इससे सूची से बाहर रखा गया है।
हालाँकि एक तर्क यह भी है कि यदि सांसद को किसी अन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है, और उसे दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के तहत सांसद को दोषी ठहराए जाने और कम से कम दो साल कैद की सजा सुनाए जाने पर अयोग्य ठहराया जा सकता है।
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