अस्पताल में इतनी अव्यवस्था हो कि वेंटिलेटर वाले मरीज़ को हाथ से पंपिंग कर हवा देनी पड़े और इस बीच उसकी मौत हो जाए, तो क्या कहा जाए? कोविड वार्ड में मरीज़ का डायपर तीमारदार बदलें और जब उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाए तो 4 दिन तक डायपर बदला ही नहीं जाए। मौत होने पर शव सौंपा जाए तो उस अव्यवस्था का पता चले। ऐसी जगहों पर कोरोना मरीज़ों का इलाज कैसा चल रहा होगा?
गुजरात: अस्पताल में रिश्तेदारों का दर्द, मरते मरीज़ को हाथ से पंपिंग से दी हवा!
- गुजरात
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- 28 May, 2020
अस्पताल में इतनी अव्यवस्था हो कि वेंटिलेटर वाले मरीज़ को हाथ से पंपिंग कर हवा देनी पड़े और इस बीच उसकी मौत हो जाए, तो क्या कहा जाए?

यह हाल गुजरात के अस्पतालों का है। इनमें से एक अस्पताल तो अहमदाबाद सिविल अस्पताल है जिसे गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में हॉस्पिटल की अव्यवस्था और बड़ी संख्या में कोरोना मरीज़ों की मौत पर 'काल कोठरी से बदतर' कहा है।
इन्हीं अस्पतालों में भर्ती रहे मरीज़ों के परिजनों ने ऐसे अनुभव साझा किए हैं जो हॉस्पिटल में ऐसी अव्यवस्थाओं की पोल खोलते हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार कंटेनमेंट ज़ोन घोषित दानी लिंबा निवासी हार्दिक वलेरा की 81 वर्षीय दादी नानीबेन को अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में मंगलवार शाम को भर्ती कराया गया था। रात में ढाई बजे वेंटिलेटर पर रखा गया। वलेरा ने अख़बार से कहा, 'बुधवार सुबह डॉक्टर ने उन्हें तीसरी मंजिल के वार्ड में शिफ़्ट करना चाहा, लेकिन स्टाफ़ की कमी के कारण वेंटिलेटर के साथ शिफ़्ट करने से उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने मुझे एक बैग दिया और कहा कि हाथ से पंपिंग कर हवा देते रहना। जब हम तीसरी मंजिल पर पहुँचे तो डॉक्टरों ने कहा कि उनकी मौत हो गई है।'