मोरबी में पुल के ढहने के मामले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें उस कंपनी के स्टाफ़ भी शामिल है जिसने इसकी मरम्मत की थी। पुल गिरने से 130 से अधिक लोगों की मौत के एक दिन बाद यह गिरफ्तारी हुई है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों में पुल की मरम्मत कराने वाली कंपनी ओरेवा के मैनेजर, टिकट लेने वाले, पुल की मरम्मत करने वाले ठेकेदार और तीन सुरक्षा गार्ड शामिल हैं जिनका काम भीड़ को नियंत्रित करना था। गुजरात स्थित ओरेवा कंपनी पर कई सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। हालाँकि इसके बावजूद किसी भी शीर्ष अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मोरबी के पुलिस प्रमुख अशोक यादव ने आज कहा, 'हम दोषियों को छोड़ेंगे नहीं, हम किसी को नहीं बख्शेंगे।'
यह वही ओरेवा कंपनी है जिसने पुल की मरम्मत की थी। बता दें कि मरम्मत और नवीनीकरण के बाद मोरबी के ब्रिज को चार दिन पहले ही यानी 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर फिर से खोला गया था। मरम्मत कार्य के लिए यह पुल पिछले क़रीब 6-7 महीने से बंद था।
एएनआई ने अशोक यादव, आईजी, राजकोट रेंज के हवाले से कहा, 'हमने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के बाद नौ लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में ओरेवा कंपनी के प्रबंधक और टिकट क्लर्क शामिल हैं। उन एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई जिन्हें पुल के रखरखाव और संचालन का काम सौंपा गया था। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह झाला ने कहा कि शहर स्थित ओरेवा समूह को पुल के नवीनीकरण और संचालन का ठेका दिया गया था।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मोरबी नगर निकाय के साथ 15 साल के समझौते पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद ओरेवा ने कथित तौर पर 'पुल नवीनीकरण के तकनीकी पहलू' को एक अज्ञात रिकॉर्ड वाली एक छोटी कंपनी, देवप्रकाश सॉल्यूशंस को आउटसोर्स कर दिया।
प्राथमिकी में कहा गया है कि पुल की मरम्मत, रखरखाव और प्रबंधन के लिए सौंपे गए लोगों ने मरम्मत/रखरखाव का काम ठीक से नहीं किया। इसमें कहा गया है कि उन्होंने उचित गुणवत्ता की जांच नहीं की, लेकिन संभावित घातक ख़तरों से अवगत थे।
कंपनी रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने तक बंद रखने के अपने अनुबंध से बाध्य थी। पुलिस ने एक प्राथमिकी में कहा कि पिछले हफ्ते पुल को खोलना गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाही वाला संकेत था।
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