गुजरात के मोरबी जिले में टूटे सस्पेंशन ब्रिज का काम जिस ओरेवा समूह को दिया गया था, उसके एमडी जयसुख पटेल जर्मन शासक हिटलर के समर्थक हैं। जयसुख पटेल ने साल 2019 में ‘समस्या और समाधान’ शीर्षक से किताब लिखी थी। इस किताब के जरिए उन्होंने भारत के विश्व का भाग्य विधाता बनने में क्या और कौन सी मुश्किल हैं, इस पर अपने विचार रखे थे। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने उनके द्वारा किताब में लिखे गए विचारों के संबंध में खबर प्रकाशित की है।
दैनिक भास्कर में यह खबर तुषार दवे ने अहमदाबाद से लिखी है।
खबर के मुताबिक, जयसुख पटेल अपनी किताब में लिखते हैं, चीन की तरह ही भारत में चुनाव बंद कर दिए जाने चाहिए और किसी योग्य व्यक्ति को 15 से 20 साल तक नेतृत्व दिया जाना चाहिए और इस शख्स को हिटलर की तरह डंडा चलाना चाहिए।”
दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जयसुख पटेल अपनी किताब में आरक्षण, शासन-सत्ता और भूमि अधिग्रहण की मौजूदा प्रणाली का मुखर विरोध करते हैं। वह लिखते हैं, “गुलामी हमारे डीएनए में है और तानाशाह ही हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला सकता है। 95% से अधिक सरकारी कर्मचारी, अफसर और नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।”
दैनिक भास्कर के मुताबिक, इस किताब में जयसुख पटेल ने कश्मीर से लेकर राजनीति की तमाम समस्याओं के समाधान का दावा किया है और जयसुख पटेल के विचार लोकतांत्रिक व्यवस्था, आरक्षण और किसानों के विरुद्ध होने के साथ ही अधिनायकवाद के समर्थन में भी हैं। खबर के मुताबिक, जयसुख पटेल किसी नियम, सर्टिफिकेट और पंजीकरण के भी पूरी तरह खिलाफ हैं।
निश्चित रूप से जयसुख पटेल के विचारों को पढ़ने से साफ पता चलता है कि वह लोकतंत्र के धुर विरोधी हैं और किसी भी तरह के नियम-कानूनों के पूरी तरह खिलाफ हैं। साथ ही वह तानाशाही के भी समर्थक हैं।
ओरेवा समूह के एमडी जयसुख पटेल के इन विचारों के सामने आने के बाद यह कहा जा सकता है कि वह बेहद ही कठोर दिल रखने वाले और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में रत्ती भर भी भरोसा नहीं रखने वाले शख्स हैं।
मोरबी जिले में रविवार शाम को हुए इस हादसे में अब तक कम से कम 140 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। पुलिस ने इस मामले में नौ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है। इसी कंपनी के एक मैनेजर दीपक पारेख ने एक स्थानीय अदालत से कहा है कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।
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